Monday, 21 August 2017

वैदिक ऋषि गर्ग आंगिरस और भारद्वाज के वंशज

गर्ग वंश : बहुत से लोगों का गोत्र गर्ग है और बहुत से लोगों का उपनाम गर्ग है। सभी का संबंध गर्ग ऋषि से है। वैदिक ऋषि गर्ग आंगिरस और भारद्वाज के वंशज 33 मंत्रकारों में श्रेष्ठ थे। गर्गवंशी लोग ब्राह्मणों और वैश्यों (बनिये) दोनों में मिल जाएंगे। एक गर्ग ऋषि महाभारत काल में भी हुए थे, जो यदुओं के आचार्य थे जिन्होंने 'गर्ग संहिता' लिखी। ब्राह्मण पूर्वजों की परंपरा को देखें तो गर्ग से शुक्ल, गौतम से मिश्र, श्रीमुख शांडिल्य से तिवारी या त्रिपाठी वंश प्रकाश में आता है। गर्ग ऋषि के 13 लड़के बताए जाते हैं जिन्हें गर्ग गोत्रीय, पंच प्रवरीय, शुक्ल वंशज कहा जाता है, जो 13 गांवों में विभक्त हो गए थे। यह कहना की गोत्र और ऋषि तो सिर्फ ब्राह्मणों के ही है गलत होगा। इन सभी ऋषियों से दलित समाज का भी जन्म हुआ है। इनकी एक शाखा दलितों में मिलती है तो दूसरी क्षत्रिय और वैश्यों में।

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