Monday, 21 August 2017

देवल ऋषि

मुख्य मेनू खोलें  खोजें संपादित करेंइस पृष्ठ का ध्यान रखेंकिसी अन्य भाषा में पढ़ें देवल ऋषि देवल ऋषि ने देवल स्मृति की रचना की है। यह स्मृति सिन्ध पर मुसलमानी आक्रमण के कारण उत्पन्न धर्म परिवर्तन की समस्या के निवार्णार्थ लिखी गई थी। इसका रचनाकाल ७वीं शताब्दी से लेकर १०वीं शताब्दी के बीच होने का अनुमान है। इसमें केवल ९६ श्लोक हैं। अनुमान है की सिंध प्रदेश के मुसलमानों के हाथ में चले जाने के बाद जब पश्चिमोतर भारत की जनता धड़ल्ले से मुस्लमान बनायीं जाने लगी, तब उसे हिन्दू समाज में वापस आने की सुविधा देने के लिए यह स्मृति आनन् फानन में रच दी गयी। मनुस्मृति और याज्ञवल्क्य स्मृति में धर्म-भ्रष्ट मनुष्य को पुनः लेने के कोई प्रवंध न था। याज्ञवल्क्य पर लिखी गई ‘मिताक्षरा’, 'अपरार्क', 'स्मृतिचन्द्रिका' आदि ग्रंथों में देवल का उल्लेख किया गया है। उसी प्रकार देवल स्मृति के काफी उद्धरण ‘मिताक्षरा’ में लिये गये हैं। ‘स्मृतिचन्द्रिका’ में देवल स्मृति से ब्रह्मचारी के कर्तव्य, ४८ वर्षो तक पाला जानेवाला ब्रह्मचर्य, पत्नी के कर्तव्य आदि के संबंध मे उद्धरण लिये गये हैं। 'देवल स्मृति' नामक ९० श्लोकों का ग्रंथ आनंदाश्रम में छपा है। उस ग्रंथ में केवल प्रायश्चित्तविधि बताया गया है। किंतु वह ग्रंथ मूल स्वरुप में अन्य स्मृतियों से लिये गये श्लोकों का संग्रह होगा। इसका रचनाकाल भी काफी अर्वाचीन होगा क्योंकि इस स्मृति के १७-२२ श्लोक तथा ३०-३१ श्लोक विष्णु के हैं, ऐसा अपरार्क में बताया गया है। अपरार्क तथा स्मृतिचन्द्रिका में ‘देव स्मृति’ से दायविभाग, स्त्रीधन पर रहनेवाली स्त्री की सत्ता आदि के बारे में उद्धरण लिये गये हैं। इससे प्रतीत होता है कि, स्मृतिकार देवल, बृहस्पति, कात्यायन आदि स्मृतिकारों का समकालीन रहे होंगे। बाहरी कड़ियाँ संपादित करें देवलस्मृति (देवनागरी यूनिकोड) देवल ऋषि देवलस्मृति सहित १८ स्मृतियाँ डाउनलोड करें (पीडीएफ) Deval Rishi Last edited 6 months ago by NehalDaveND RELATED PAGES स्मृति विधिकार याज्ञवल्क्य स्मृति हिन्दू धर्मशास्त्र का एक ग्रंथ  सामग्री CC BY-SA 3.0 के अधीन है जब तक अलग से उल्लेख ना किया गया हो। गोपनीयताडेस्कटॉप

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