Tuesday, 22 August 2017

कणाद

मुख्य मेनू खोलें  खोजें संपादित करेंइस पृष्ठ का ध्यान रखेंकिसी अन्य भाषा में पढ़ें कणाद कणाद ऋषि ,वैशेषिक दर्शन के प्रवर्तक हैं। महर्षि कणाद ने द्वयाणुक (दो अणु वाले) तथा त्रयाणुक की चर्चा की है। उनका समय छठी शदी ईसापूर्व है। किन्तु कुछ लोग उन्हे दूसरी शताब्दी ईसापूर्व का मानते हैं। ऐसा विश्वास है कि वे गुजरात के प्रभास क्षेत्र (द्वारका के निकट) में जन्मे थे। कणाद परमाणु की अवधारणा के जनक माने जाते हैं। आधुनिक दौर में अणु विज्ञानी जॉन डाल्टन के भी हजारों साल पहले महर्षि कणाद ने यह रहस्य उजागर किया कि द्रव्य के परमाणु होते हैं। उनके अनासक्त जीवन के बारे में यह रोचक मान्यता भी है कि किसी काम से बाहर जाते तो घर लौटते वक्त रास्तों में पड़ी चीजों या अन्न के कणों को बटोरकर अपना जीवनयापन करते थे। इसीलिए उनका नाम कणाद भी प्रसिद्ध हुआ।[1] कण सिद्धान्त संपादित करें भौतिक जगत की उत्पत्ति सूक्ष्मातिसूक्ष्म कण परमाणुओं के संघनन से होती है- इस सिद्धांत के जनक महर्षि कणाद थे। गति के नियम संपादित करें इसके अलावा महर्षि कणाद ने ही न्यूटन से पूर्व गति के तीन नियम बताए थे। [2] वेगः निमित्तविशेषात कर्मणो जायते। वेगः निमित्तापेक्षात कर्मणो जायते नियतदिक क्रियाप्रबन्धहेतु। वेगः संयोगविशेषविरोधी॥ वैशेषिक दर्शन अर्थात्‌ वेग या मोशन (motion) पांचों द्रव्यों पर निमित्त व विशेष कर्म के कारण उत्पन्न होता है तथा नियमित दिशा में क्रिया होने के कारण संयोग विशेष से नष्ट होता है या उत्पन्न होता है। सन्दर्भ संपादित करें ↑ "बिग स्टोरी : हजारों साल पहले ऋषियों के आविष्कार, पढ़कर रह जाएंगे हैरान". धर्म डेस्क. उज्जैन: दैनिक भास्कर. १२ अप्रैल २०१३. http://religion.bhaskar.com/article/DHA-GYA-mega-story-inventions-of-indian-sages-incredible-indian-sages-and-sants-4233346-NOR.html?seq=3. अभिगमन तिथि: १३ अप्रैल २०१३. ↑ परमाणु सिद्धांत के असली जनक तो ये हैं... (वेबदुनिया) इन्हें भी देखें संपादित करें वैशेषिक दर्शन बाहरी कड़ियाँ संपादित करें कणाद : वैशेषिक दर्शन के प्रणेता Last edited 4 months ago by Swapnil.Karambelkar RELATED PAGES वैशेषिक दर्शन पदार्थ (भारतीय दर्शन) भारतीय दर्शन में परमाणु  सामग्री CC BY-SA 3.0 के अधीन है जब तक अलग से उल्लेख ना किया गया हो। गोपनीयताडेस्कटॉप

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