मुख्य मेनू खोलें  खोजें संपादित करेंइस पृष्ठ का ध्यान रखें गणपाठ गणपाठ पाणिनि के व्याकरण के पाँच भागों में से एक है। इसमें २६१ शब्दों का संग्रह है। पाणिनीय व्याकरण के चार अन्य भाग हैं- अष्टाध्यायी, शिवसूत्र, धातुपाठ तथा उणादिसूत्र। 'गण' का अर्थ है - समूह। जब बहुत से शब्दों को एक ही कार्य करना हो तो उनमें से प्रथम या प्रमुख शब्द को लेकर उसमें 'आदि' जोड़कर काम चला लिया जाता है। जैसे भ्वादि गण (= भू आदि गण)। ऐसा करने से लाघव होता है अन्यथा वर्णन बहुत बड़ा हो जायेगा। कौन से शब्द 'गण' हैं, इसके लिये गणपाठ दिया गया है। गणपाठ तथा उणादिसूत्र एक नहीं, परन्तु विभिन्न व्याकरण कारोंके भेदसे अनेक है । इन्हें भी देखें संपादित करें धातुपाठ बाहरी कड़ियाँ संपादित करें गणपाठ गणपाठ (पीडीएफ) गणपाठ डाउनलोड करें गणपाठ (शब्दसारस्वतसर्वस्वम्) Last edited 19 days ago by an anonymous user RELATED PAGES धातुपाठ व्याकरण (वेदांग) धातु (संस्कृत के क्रिया शब्द)  सामग्री CC BY-SA 3.0 के अधीन है जब तक अलग से उल्लेख ना किया गया हो। गोपनीयताडेस्कटॉप
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