Hindu-Dharm यह ब्लॉग हिन्दू धर्म की मान्यताओं,हिन्दू पौराणिक कथाओं और उनमें छुपी ज्ञानगंगा,नैतिकता और वैज्ञानिकता को प्रदर्शित करने का प्रयास है। This blog is an effort to describe Hindu rituals,Hindu stories ,Hindu Knowledge ,Morality and Scientific Outlook of Hinduism .  ▼  ▼ शनिवार, 24 दिसंबर 2016 मन्त्र से श्रेष्ठ है नाम स्मरण जानिये कैसे!! जप दो प्रकार का होता है एक मन्त्र-जप और दूसरा नाम-जप। मन्त्र जप करने की विधि होती है परंतु नाम जप में किसी विधि की आवश्यकता नहीं है। मन्त्र में नमन और स्वाहा होता है जबकि नाम में अपने इष्ट के प्रति सम्बोधन होता है। मन्त्र जप हर समय नहीं किया जा सकता उसमें समय और स्थान का निषेध् होता है जबकि नाम जप हर समय और किसी भी स्थान में किया जा सकता है। मन्त्र जप का अधिकार सभी को नहीं है जबकि नाम जप कोई भी कर सकता है। मन्त्र जप अनुष्ठान पूर्वक किसी अभिष्ठ की प्राप्ति के लिए होता है जबकि नाम जप अंतःकरण की शुध्दि और भगवत प्राप्ति का प्रमुख साधन है। मन्त्र जप कर्म प्रधान है जबकि नाम जप भाव प्रधान है। मन्त्र जप में यदि त्रुटि हो जाय तो यजमान का नाश हो जाता है जबकि नाम जप में यदि त्रुटि हो भी जाय फिर भी वह कल्याणकारी ही होता है। उदाहरण के लिए:- वृत्तासुर इन्द्र के वध के लिए मन्त्र अनुष्ठान कराया पर मन्त्र की त्रुटि होने के कारण खुद वृत्तासुर का नाश हो गया जबकि नाम जप के प्रभाव से उल्टा नाम जब कर (मरा मरा कहकर) वाल्मीकि ब्रह्म ज्ञानी हुए। इस प्रकार अनेक अंतर है नाम और मन्त्र जप में परंतु यहाँ नाम जप की महिमा बता कर मन्त्र जप का तिरिष्कार करने की बात नहीं कही जा रही है। कहने का भाव केवल यह है की नाम जाप भावनात्मकता के साथ कोई भी मनुष्य सहज सुलभ ले सकता है और किसी भी प्रकार से लिया जाय सीधा या उल्टा सही या गलत हर प्रकार से नाम जप कल्याणकारी होता है। यह भी पढ़े:- माता पार्वति ने राम नाम जप कब प्रारम्भ किया!! चार युग और उनकी समय अवधि!! युग आरम्भ होने की तिथियां!! क्यो श्रीकृष्ण एक चींटी को देख कर हँस पड़े !! जानिये गहने पहनने के स्वास्थ्य वर्धक लाभ!! भगवान् विष्णु के षोडस पार्षद कौन है ? देवी देवता और उनके वाहन!! जब एक गोपी ने श्रीकृष्ण को रुलाया!! पञ्च कन्याएँ कौन है? दश दिग्पाल और उनसे रक्षित दिशाएँ!! दन्तधावन (मंजन या दातौन) करने के नियम व निषेध!! संतो की महिमा!! कल्पवृक्ष और चिंतामणि से भी श्रेष्ठ है गुरु कृपा!! भगवान् धरती पर क्यों आते है? श्रीमद्भगवतगीता का प्राकट्य क्यों कब और किसके द्वारा हुआ? जीवात्मा का वास्तविक स्वरुप क्या है? भक्ति के लक्षण (भक्ति कैसी हो?)!! श्रीमद् भागवत् महापुराण का प्राकट्य कैसे हुआ ? जानिये शुखदेव जी ने कैसे देवताओ के अमृत को ठुकराया। पञ्च महाभूत की उत्पत्ति एवं उनके गुण!!! जानिये व्यसनों के प्रकार क्या है? सर्वोत्तम है मानसी (भावनात्मक) पूजन जाने कैसे? जब कुत्ते से भगवान् को प्रकट होना पड़ा!! बालक नामदेव की अकिंचन भक्ति से मूर्ति स्वरुप भगवान् को भी प्रकट होना पड़ा!! विवाह के प्रकार क्या श्रीराम नित्य पशुओ का शिकार करते थे? कर्म का प्रवाह द्वादश परम भागवत श्रेय और प्रेय क्या है? भगवान् विष्णु के 24 अवतार!! स्वर्ण (सोने) में कलि (कलियुग) का वास है या भगवान् का!!! कलि युग के निवास के पांच स्थान कौन है? क्षौर कर्म और उसके नियम क्या है ? भक्ति के सोपान!! दत्तात्रेय के 24 गुरु और उनके सिख!! मांस भक्षण से होने वाले हानियां!! कुब्जा कौन है? जाने हिन्दू धर्म में सात दिनों का महत्त्व क्या है? परोपकार में ना हो अहंकार!! सीखे श्रीराम से। अष्टसिद्धियाँ और हनुमानजी!! कार्तिक पूर्णिमा का आध्यात्मिक महत्त्व जाने भगवान् विचार पूर्वक धन देते है जाने कैसे? अठारह पुराण और श्लोक संख्या। मौन वरन् और उसके फायदे !! पं. आशुतोष चौबे पर 6:38:00 pm साझा करें  कोई टिप्पणी नहीं: एक टिप्पणी भेजें ‹ › मुख्यपृष्ठ वेब वर्शन देखें  Blogger द्वारा संचालित. 
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