Chatushloki Bhagwat चतु:श्लोकी भागवत By: Hariom Narayan ब्रह्माजी द्वारा भगवान नारायण की स्तुति किए जाने पर प्रभु ने उन्हें सम्पूर्ण भागवत-तत्त�¥- �व का उपदेश केवल चार श्लोकोà- �‚ में दिया था। वही मूल चतु:श्लोकी भागवत है। अहमेवास- मेवाग्रे नान्यद यत् सदसत परम। पश्चाद- हं यदेतच्चÂ- योSवशिष्येà- �¤ सोSस्म्यहम ॥१॥ ऋतेSर्थ�¤- ‚ यत् प्रतीयà- ��त न प्रतीयेत चात्मनि। तद- ्विद्यादात- ्मनो माया यथाSSभासो यथा तम: ॥ २॥ यथा महान्ति भूतानि भूतेषूच्चा- वचेष्वनु। प- ्रविष्टान्- यप्रविष्टा- नि तथा तेषु न तेष्वहम॥ ३॥ एतावदेव जिज्ञास्यं- तत्त्वजिज्- ञासुनाSSत्मà- �¨:। अन्वयव्य- तिरेकाभ्या- ं यत् स्यात् सर्वत्र सरà- ��वदा॥ ४॥ सृष्टी से पूर्व केवलÂ- मैं ही था। सत्, असत या उससे परे मुझसे भिन्न कुछ नहीं था। सृष्टी न रहने पर (प्रलयकाल म- ें) भी मैं ही रहता हूँ। यह सब सृष्टीरूप भी मैं ही हूँ और जो कुछ इस सृष्टी, à- ��्थिति तथा प्रलय से बचा रहता है, वह भी मैं ही हूँ। (१) जो मुझ मूल तत्त्व को छोड़कर प्रतीत होता है और आत्मा में प्रतीत नहीं होता, उसे आत्मा की माया समझो। जैसे (वस्तु का) प्रतिबिम्ब- अथवा अंधकार (छाया) होता है। (२) जैसे पंचमहाभूत (पृथ्वी, जल,Â- अग्नि, वाय�¥- और आकाश) संसार के छोटे-बड़े सभी पदार्थों में प्रविष्ट होते हुए भी उनमें प्रविष्टनह- ीं हैं, वैसे ही मैं भी विश्व में व्यापक होने पर भी उससे संपृक्त हूँ। (३) आत्- मतत्त्व को जानने की इच्छा रखनेवाले के लिए इतना ही जानने योग्य है की अन्वय (सृष्टी) अथवा व्यतिरेक (प्रलय) क्रम में जो तत्त्व सर्वत्र एवं सर्वदा रहता है, वही आत्मतत्त्व- है। (४) इस चतु:श्लोकी भागवत के पठन एवं श्रवण से मनुष्य के अज्ञान जनित मोह और मदरूप अंधकार का नाश हो वास्तविकज्- ञानरुपी सूर्य का उदय होता है। (श्री योग वेदांत सेवा समिति, संत श्री आसाराà- ��जी आश्रम की पुस्तक "एकादशी व्रत कथाएँ" से)  Share     Recommended section  Tired of Yoga?  Festival of love  Let the sun come down to earth  Spiritual Independence  Katichakrasana Popular section  Moles on these 12 areas on your body indicate wealth and overseas travel  Is Lord Hanumana still alive?  Heart Line on both palm forms a half-moon shape? Here's what it means!  What does your mole say about you?  Samudrika Shastra: Blindly marry a man who has even 12 of these 20 characteristics (Lakshana)! Go to www.speakingtree.in
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