Thursday, 10 August 2017

कौन था गायत्री मंत्र का रचियता

Home About Contact     Text to Search...  Home Pratikriya क्षात्र-धर्म गायत्री मन्त्र प्रतिक्रिया कौन था गायत्री मंत्र का रचियता ? कौन था गायत्री मंत्र का रचियता ? Gyan Darpan 11:06 PM Pratikriya , क्षात्र-धर्म , गायत्री मन्त्र , प्रतिक्रिया   जिस प्रकार भारत में पुष्कर Pushkar को तीर्थराज माना जाता है उसी प्रकार मन्त्रों में भी गायत्री मंत्र Gayatri Mantra को सर्वश्रेष्ठ माना जाता है। यह वास्तव में सूर्य नारायण का मंत्र है और उससे भी आगे गौरव की बात यह है कि इस श्रेष्ठतम मंत्र के दृष्टा क्षत्रिय विश्वामित्र Rishi Vishvamitra थे। मंत्र शब्दार्थ इस प्रकार है- ॐ भू भुवः स्वः तत सवितृ वरेण्यम भर्गो देवस्य धीमहि धियोयोनः प्रचोदयात। ॐ - जो कि प्रणव, आदि स्वर, बीज है। भू- भू लोक- यह पृथ्वी। भुवः- भुवर्लोक - पृथ्वी से ऊपर वायुमंडल। स्वः- स्वर्गलोक जहाँ देवता, अप्सराएँ गंधर्व आदि निवास करते है। भू लोक पर रहने वाले अच्छे व्यक्तियों, संतों, तपस्वियों आदि से भूवर्लोक में सती, झुंझार, भौमिया व अन्य हुतात्माएँ सूक्षम शरीरों में तपस्यारत अन्य सद्शाक्तियों से और स्वर्गलोक में रहने वाले देवताओं से साधक अपनी साधना में सहायता के लिए आह्वान करता है। सवितृ देव का मंत्र तो अब आरम्भ होता है- तत सवितृ वरेण्यम- वरण करने योग्य उस सवितृ। भर्गो देवस्य धीमहि- श्रेष्ठ देवताओं का ध्यान करते है। धियोयोनः प्रचोदयात- जो हमारी बुद्धि को प्रेरित करे। अतः मंत्र का अर्थ हुआ-“वरण करने योग्य श्रेष्ठ देवता सवितृ का हम ध्यान करते है जो हमारी बुद्धि को प्रेरित करें। यहाँ मंत्र के दृष्टा ऋषि विश्वामित्र में सवितृदेव से कोई धन, धान्य, राज्य, सत्ता, शक्ति, बुद्धि, मुक्ति, प्रेम, दया आदि की याचना नहीं की। मात्र सन्मार्ग की ओर बुद्धि को प्रेरित करने का कार्य करे यह अभिलाषा है। विश्वामित्र जी ने इस बात को सूक्ष्म रूप से समझा कि सन्मार्ग की ओर प्रेरित बुद्धि ही कल्याणकारी है, न कि शक्तिशाली बुद्धि और ऐसे मंत्र की रचना की जिसकी सर्वश्रेष्ठता आज तक निर्विवाद है। रावण, कंस, हिरण्यकश्यप, परशुराम आदि पथभ्रष्ट व्यक्ति मुर्ख नहीं थे, बल्कि बुद्धिमान थे पर सन्मार्ग पर ना चलने की वजह से बुद्धि का आधिक्य होने के बावजूद इतिहास में खलनायक के रूप में दर्ज है।  गायत्री मंत्र- सवितृदेव सूर्य जिनसे यह सम्पूर्ण सृष्टि निसरित हुई है-का मंत्र है। मंत्र के शब्दों में कहीं गायत्री देवी का उल्लेख नहीं आता। मंत्र की रचना का छन्द अवश्य गायत्री है। किसी भी श्लोक अथवा मंत्र जिसमें 24 अक्षर हों उसे गायत्री छन्द में रचित कहते है। अतः छन्द के नाम पर मंत्र का नाम गायत्री कर देना और उसे गायत्री देवी से सम्बद्ध कर गायत्री देवी नाम से छोटे-मोटे ग्रंथों की रचना कर उन्हें जन प्रचलित करना विश्वामित्र जी के साथ खिलवाड़ है। क्षत्रियों द्वारा इस मंत्र के तत्व और महत्त्व को व विश्वामित्र के चरित्र के महात्म्य को विस्मृत कर दिए जाने का परिणाम यह हुआ कि आज इस मंत्र के ठेकेदार कोई और बन बैठे और क्षत्रिय इसके लाभों से उसी प्रकार दूर हो गये जैसे श्रीकृष्ण द्वारा अर्जुन को बताये गए रास्ते से दूर हो गये। परिणामतः इस राह के भी मालिक कोई और बन बैठे। सीताराम सिंह बड़नगर की पुस्तक “विश्वामित्र” के आधार पर  loading... Share on Facebook Share on Twitter Share on Google Plus About Gyan Darpan  Ratan Singh Shekhawat, Bhagatpura, Rajasthan. RELATED POSTS  टीवी चैनल इतिहास को दूषित करने वाले...  भारत के प्रमाणिक इतिहास-लेखन में अव...  गौरक्षा के लिए औरंगजेब की सेना से भ... BLOGGER COMMENTFACEBOOK COMMENT 0 comments:  Newer Post Older Post Home Popular Post Video Category  जहाँ मन्नत मांगी जाती है मोटरसाईकिल से ! Om Bana story in hindi, Om bana chotila, How to reach Om bana temple, Om Bana Photo, Om Bana song Download, om banna photo विविधताओं से भरे...  भानगढ़ का सच राजस्थान के भानगढ़ Bhangarh का उजड़ा किला व नगर भूतों का डरावना किले के नाम से देश विदेश में चर्चित है| इस किले की यात्रा के लिए अलवर व जयपुर ... ज्ञान दर्पण पर इतिहास के सारे लेख यहाँ है 1-महाराव शेखा जी 2-राव विरमदेव,मेड़ता 3-वीर राव अमरसिंह राठौड़ और बल्लू चाम्पावत 4-वीर शिरोमणि दुर्गादास राठोड़ 5-विलक्षण व्यक्तित्व के धन...  सच का सामना लगभग एक वर्ष से हिंदी ब्लॉग जगत के चर्चित ब्लॉगर ललित शर्मा के साथ राजस्थान में अलवर जयपुर के पास प्रसिद्ध भानगढ़ Bhangarh के भुतहा किले ...  हीरादे : राष्ट्रभक्ति का अनूठा उदाहरण Heera De of Jalaur, Hira de Story in hindi, Rashtrbhakt Hira de संवत 1368 (ई.सन 1311) मंगलवार बैसाख सुदी 5. को विका दहिया जालौर दुर्ग के गु... राजिया रा सौरठा -4 कवि कृपाराम जी द्वारा लिखित नीति सम्बन्धी राजिया रा दोहा | आवै नही इलोळ बोलण चालण री विवध | टीटोड़यां रा टोळ, राजंहस री राजिया || महान व्यक्...  नहीं बदलते राजपूत समाज में महिलाओं के सरनेम हमारे देश में लगभग समुदायों में महिला का शादी के बाद सरनेम बदल जाता है, उसे अपने पिता के सरनेम से पति का सरनेम रखना पड़ता है| जिससे महिला की ... ज्ञान दर्पण के सभी तकनीकी लेख यहाँ है computer tips 1-कंप्यूटर ड्राइवर्स का बेकअप कैसे ले 2-ऑडियो कैसेट से सी डी केसे बनाये 3-कम्पूटर स्क्रीन का विडियो केसे बनायें 4-लिनक्स के सा... लेख ईमेल से मंगवायें  Email address... SUBMIT FIND US ON FACEBOOK  loading...  Copyright © 2014 Gyan Darpan : Hindi Blog Template Distributed By: Blogger Templates

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