मुख्य मेनू खोलें  खोजें संपादित करेंइस पृष्ठ का ध्यान रखेंकिसी अन्य भाषा में पढ़ें विक्रम संवत पेज समस्याएं विक्रम संवत हिन्दू पंचांग में समय गणना की प्रणाली का नाम है। यह संवत 56 ई.पू. आरम्भ होती है। इसका प्रणेता नेपाल के लिच्छवि वंशके प्रथम राजा धर्मपाल भूमिवर्मा विक्रमादित्य को माना जाता है। इस तथ्यको गुजरात के खोजकर्ता पं.भगवानलाल इन्द्रजी ने भी सही ठहराया है। कोई कोई कहते हैं कि ऐ संवत् भारतवर्ष के सम्राट विक्रमादित्य ने शुरु किया था लेकिन समय के गणना में वो सही नहीं रहता। क्योंकि मगधके सम्राट चन्द्रगुप्त द्वितीय ने उज्जयनी और अयोध्या पर विजय प्राप्त किया और खुद को 'विक्रमादित्य' सम्राटका उपाधि दी। उससे पहले कहीं और कभी भी विक्रमादित्य का उल्लेख नहीं है । बारह महीने का एक वर्ष और सात दिन का एक सप्ताह रखने का प्रचलन विक्रम संवत से ही शुरू हुआ | महीने का हिसाब सूर्य व चंद्रमा की गति पर रखा जाता है। यह बारह राशियाँ बारह सौर मास हैं। जिस दिन सूर्य जिस राशि में प्रवेश करता है उसी दिन की संक्रांति होती है। पूर्णिमा के दिन, चंद्रमा जिस नक्षत्र में होता है। उसी आधार पर महीनों का नामकरण हुआ है। चंद्र वर्ष सौर वर्ष से 11 दिन 3 घाटी 48 पल छोटा है। इसीलिए हर 3 वर्ष में इसमें 1 महीना जोड़ दिया जाता है। ये संवत नेपाल काआधिकारिक संवत् है । आज भी नेपाल में यही संवत राष्ट्रीय संवत् है । वर्ष २०१६ (ईसा) में यह २४ मार्च (अंग्रेजी) को शुरू हुआ था और १३-मार्च-२०१७ को विक्रम संवत का प्रथम दिन रहेगा। महीनों के नाम महीनों के नाम पूर्णिम के दिन नक्षत्र जिसमें चन्द्रमा होता है चैत्र चित्रा, स्वाति बैशाख विशाखा, अनुराधा जेष्ठ जेष्ठा, मूल आषाढ़ पूर्वाषाढ़, उत्तराषाढ़, सतभिषा श्रावण श्रवण, धनिष्ठा भाद्रपद पूर्वाभाद्र, उत्तरभाद्र आश्विन अश्विन, रेवती, भरणी कार्तिक कृतिका, रोहणी मार्गशीर्ष मृगशिरा, उत्तरा पौष पुनवर्सु, पुष्य माघ मघा, अश्लेशा फाल्गुन पूर्वाफाल्गुन, उत्तरफाल्गुन, हस्त इन्हें भी देखें अन्य संवत प्राचीन सप्तर्षि ६६७६ ईपू कलियुग संवत ३१०२ ईपू सप्तर्षि संवत ३०७६ ईपू शक संवत ७८ सन्दर्भ Last edited 1 month ago by an anonymous user RELATED PAGES हिन्दू पंचांग सप्तर्षि संवत संवत  सामग्री CC BY-SA 3.0 के अधीन है जब तक अलग से उल्लेख ना किया गया हो। गोपनीयताडेस्कटॉप
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