Friday, 25 August 2017

आलस्य आत्मघाती और आत्महत्या है

 होम ब्लॉग आलस्य आत्मघाती तो है ही, समाज व राष्ट्र के लिए बेहद हानिकारक है Aug 17, 2017 आलस्य आत्मघाती तो है ही, समाज व राष्ट्र के लिए बेहद हानिकारक है  ब्लॉग द्वारा श्री सुधांशु जी महाराज 406 व्यूज 0 कमेंट  श्रीमदभगवदगीता ने कर्मयोग के बारे में जितना व्याख्यायित किया है, उतना और किसी ग्रंथ ने नहीं। कर्म की गम्भीरतम व्याख्या, वह भी भगवान श्रीकृष्ण की दिव्य वाणी से। गीता का तीसरा अध्याय तो कर्मयोग की ढेरों उच्चस्तरीय व्याख्याओं से भरा हुआ है। गीतानायक ने लोक के वासियों को कर्म करने के लिए सदा प्रेरित किया। उन्होंने चाहा कि कर्मो में असंग रहे, कर्मकर्ता निसंग रहे, वह निष्काम भाव से कर्म करे। इसकी प्रेरणा श्रीकृष्ण ने महाबली अर्जुन के माध्यम से दुनिया को दी। उन्होंने कहा कि हमारा कर्म यज्ञ बन जाये, हवन बन जाये, अग्निहोत्र बन जाय। प्रभु श्रीकृष्ण कहते हैं- परोपकारी कर्म हो हमारा। अपना कर्म सेवा बन जाये, भक्ति बन जाय। हमारे कर्म से स्वार्थ निकल जाये, भगवान ने इसके लिए विविध-विधि प्रेरणायें दीं। उन्होंने यह भी कहा कि कर्म करने से संग पैदा होता है, आसक्ति पैदा होती है; फिर भी कर्म को छोड़ना नहीं है, कर्म करते ही जाना है। संसार में जानना श्रेष्ठ है लेकिन जानने से ज़्यादा उसे व्यवहार में लाना उत्तम है। व्यवहार पुरूषार्थ से लगातार जुड़ा रहे, ये भी बड़ा आवश्यक है। प्रकृति की प्रत्येक वस्तु और प्रत्येक जीव प्राणीमात्र सभी कर्म में रत हैं, तो हमें भी कहीं और कभी खाली नहीं बैठना चाहिए। मित्रों! आलस बहुत ही ख़राब चीज़ है, आत्मघाती है, उससे स्वयं को तो ढेरों नुक़सान पहुँचते ही हैं, समाज और देश की भी हानि होती है। इसीलिए भगवान कहते हैं कि कभी आलसी मत बनना। अंतिम समय तक पुरुषार्थ करते हुये जीवन जीना। भगवान ने कहा कि यद्यपि अब मेरे लिए कुछ करना शेष नहीं है, फिर भी मैं कर्म करता हूँ, क्योंकि बड़े लोग जो कुछ करते हैं , अनुकरण करने वाले लोग उसी से प्रेरणा लेते हैं, उसी तरह से अपने जीवन को बनाने लगते हैं। ईश्वर चाहता है कि यह संसार सदैव कर्म से जुड़ा रहे। 0 कमेंट कमेंट लिखें  सबसे प्रसिद्ध  मंजिले अपनी जग़ह है, रास्ते...  कल्याण  नागलोक से भी खास रिश्ता रखते हैं भगवान गणेश  धन बल  रामचरित मानस वन्दना और देखें समग्र स्पीकिंग ट्री मेरी प्रोफाइल आज विगत सप्ताह विगत माह  Navjot Mehta SILVER 1 क्रम1000 प्वाइंट  Apail Kapoor SILVER 2 क्रम622 प्वाइंट  Ps Murthy SILVER 3 क्रम546 प्वाइंट  Dinesh SILVER 4 क्रम515 प्वाइंट  Jyoti SILVER 5 क्रम515 प्वाइंट  Nihar Ranjan Pradhan SILVER 6 क्रम513 प्वाइंट  Abhinav Agrawal SILVER 7 क्रम512 प्वाइंट  Tejveer Yadav SILVER 8 क्रम512 प्वाइंट  Paresh Redkar SILVER 9 क्रम510 प्वाइंट  Akash Roy SILVER 10 क्रम1163 प्वाइंट Times Point और जानें संबंधित लेख  शुभ क्रांति का उद्‌घोष है मकर संक्रांति का पर्व  बाहर की भीड़ भीतर मत जाने दीजिए  मन की ज़्यादा न सुनें, अन्तरात्मा की आवाज़ सुनना है हितकर  अरे! तुम तो मानव हो  सफलता का मार्ग और देखें अन्य रोचक कहानियां  ग़ुस्सा करके स्वयं को बीमार न बनाएँ, क्योंकि क्रोध स्वयं में एक व्याधि है गणेश : आध्यात्मिक जगत के संरक्षक सात्विकता हर तरह से सर्व-कल्याणकारी नया भारत : गुलाम भारत की शिक्षा प्रणाली को बदलें इस दुनिया में संतोष की तलाश करना हमारी नदियां सूखने की कगार पर हैं कमेंट फेसबुक कमेंट  स्पीकिंग ट्री कमेंट Home | About Us | Terms of Use | Privacy Policy | FAQ | English Site | Sitemap | Speaking Tree Print Articles | Contact Us © 2017 Times Internet Limited. All rights reserved 

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