मुख्य मेनू खोलें  खोजें संपादित करेंइस पृष्ठ का ध्यान रखेंकिसी अन्य भाषा में पढ़ें वैशम्पायन पेज समस्याएं बहुविकल्पी पृष्ठ वैशम्पायन वेद व्यास के विद्वान शिष्य थे। हिन्दुओं के दो महाकाव्यों में से एक महाभारत को मानव जाति में प्रचलित करने का श्रेय उन्हीं को जाता है। पाण्डवों के पौत्र महाबलि परीक्षित के पुत्र जनमेजय को वैशम्पायन ने एक यज्ञ के दौरान यह कथा सुनाई थी। कृष्ण यजुर्वेद के प्रवर्तक भी ऋषि वैशम्पायन ही है जिन्हे उनके गुरु कृष्णद्वैपायन ने यह कारया सौपा था। इनके शिष्य याज्यावल्क्य ऋषि थे जिनसे वाद विवाद होने के कारण याज्ञवल्क्य ने शुक्ल यजुर्वेद को प्रसारित किया| Last edited 6 months ago by आर्यबॉट RELATED PAGES जनमेजय तैत्तिरीय शाखा इल्वल इल्वल और वातपी वे थे राक्षस थे बादामी द्वार शासित  सामग्री CC BY-SA 3.0 के अधीन है जब तक अलग से उल्लेख ना किया गया हो। गोपनीयताडेस्कटॉप
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