jaganatah karanje शिव गीता (Shiva Gita )  jaganath karanje 3 years ago Advertisements   शिवजी द्वारा श्री रामचंद्र जी को शिव गीता का उपदेश और शक्ति विशिष्टाद्वैत दर्शन भगवान शिव का वैभव :- भगवान शिव ही इस संपूर्ण सृष्टि के अनादि देव है जिनके महिमा का वर्णन वेदो, पुराणों, दर्शन , योग , तंत्र आदि साहित्य में सर्वत्र मिलता है। भारत का जन मन मानस वैष्णव धर्म से प्रभावित है उससे कही अधिक शैव धर्म से प्रभावित है। इस से ऐसा ज्ञात होता है कि शैव धर्म ही सृष्टि का आदि धर्म था। भगवान शिव योगियों, भक्तों , तांत्रिकों , वेदांतियों कर्मकांडियों , उपासकों , दार्शनिकों आदि सर्वत्र पूज्यनीय हुवे है। ये ही ज्ञान ,कर्म व भक्ति के आदि देव है।वेदांत में सृष्टि के मूल तत्व को पर-ब्रह्म कहा जाता है जो निरकार और निर्गुण अवस्ता में रहता है उसी को शक्ति विशिष्टाद्वैत दर्शन में निर्गुण -निरकार और सगुण-साकार भगवान शिव है। विभन्न धर्मों में जिसे ईश्वर कहा गया है वह स्वयं शिव ही है यह संपूर्ण जड़ -चेतनात्मक सृष्टि है उसी के विभिन रूप है। सृष्टि के नाभि केंद्र से दो धाराएँ प्रवाहित हो रही है। उसके पीछे दो तत्व कार्य करहा है जिनमे एक है शिव कि ज्ञान शक्ति और दूसरी है उसीकी क्रिया शक्ति जो उसका शक्ति तत्व है शिव इन दोनों शक्ति के स्वामी है (गौरी और गंगा ) यही ज्ञानतत्व इस शक्ति तत्व के भीतर रहकर सृष्टि रचना का कार्य करता है। शिव और उसकी शक्ति दो भिन्न तत्व नहीं है ये एक ही कि दो अभिव्यक्तियाँ मात्र है। | शिव अभ्यन्तरे शक्ति शक्ति अभ्यन्तरे शिव :|| यह शक्ति विशिष्टाद्वैत दर्शन का मत है जो वेदांत में माया को मिथ्या कहा गया है उस विचार से य उत्कृष्ट है।शिव के वक्षस्थल पर पर शक्ति का ही तांडव हो रहा है। शिव ही इस सृष्टि कि आनादि शक्ति है जिससे सृष्टि का धारण पोषण हो रहा है। शिवचार्यों कि उच्च चेतना ने य अनुभव किया कि शिव ही स्वयं ब्रह्म है ,य ही परम पुरुष है उन्होंने कहा ” शिव शक्त्यात्मकं ब्रह्म ” . इसी विचार ने उस अर्द्ध-नारीश्वर रूप माना। उनका दाहिना अंग शिव स्वरुप है तथा बाया अंग शक्ति रूप है। इस प्रकार शिव व शक्ति ही संपूर्ण सृष्टि का वैभव है और वाही दर्शाने हेतु श्री राम को भगवान शिव ने शिव गीता बोलना पड़ा इसी तत्व से निकलता है शक्ति विशिष्टाद्वैत दर्शन भगवान शिव ने राम को उपदेश किया।शिव महिमा:—— भगवान शिव कि महिमा का वर्णन करना किसी के भी वश कि बात नहीं है। वे एक ऐतिहासिक महा पुरुष थे अथवा स्वयं परब्रह्म इस का निर्णय कर पाना मनुष्य के वश में नहीं है। जिसकी महिमा को स्वयं परब्रह्म , हरी और दूसरे देव भी नहीं जान सके , उसकी महिमा का वर्णन कौन कर सकता है। वे ही संसार के उद्धार के लिए बार बार इस धरा पर अवतीर्ण होते रहे है। इनकी विभूतियों का कोई अन्त नहीं है। ये ही भगवान सदा शिव ,महादेव नाम से एक ऐतिहासिक पुरुष के रूप में अवतरित हुवे जिन्होंने भारतीय धर्म एवं संस्कृति को एक नया रूप दिया। वे भारत में ही नहीं बल्कि सम्पूर्ण विश्व में पूजित हुए है। अगम, वेद, पुराण ,उपनिषद् , महाभारत आदि ग्रंथो में शिव को ही जगत का आदि कारन प्रतिपादित किया है। श्री कृष्ण ने महाभारत में भगवान शिव (आशुतोष ) कि स्तुति कि थी। इस तरह शिव सारा सृष्टि में पूजित रहे। शंकर के जो अन्य नाम हैं, वे भी उनके ‘बुद्ध’ होने की ओर संकेत करते हैं। शंकर को मृत्युंजय महादेव कहा जाता है। अर्थात जिसने मृत्यु को ‘जीतकर’ ‘अर्हत्व’ प्राप्त कर लिया हो, इसलिए उन्हें जो हर-हर महादेव कहा जाता है, वह मूलतः अर्हत्व का ही द्योतक है। और जैन तंत्र में वर्षभनाथ का उलेख है। पतानहीं ऐसे कई धर्मियों के ग्रन्थ में भी शिव कि महिमा का वर्ण किया हो। लेकिन काल चक्र के गति सभ कुछ मीठा देता है लेकिन उसका अस्तित्व को कही न कही दिखता हैशिव तत्व और उसकी महिमा का ज्ञान अदि काल से ही मनुष्य को था इसलिए प्राचीन काल में भारत ही नहीं समस्त विश्व में शिवलिंगों को स्थपना कि गयी थी तथा उनकी पूजा होती थी। शिव और शक्ति को अभिन्न मानकर ही संसार में शिव और शक्ति कि पूजा का विधान किया गया। हड़प्पा (हर अप्पा ) मोहनजोड़ो ( महादेव का जड) इस बात का पुष्टि करता है उस सभ्यता में संपूर्ण शैव मत रहा विश्व का प्राचीन सभ्यतायों में एक था हड़प्पा। कुषाण वंशी नरेशों से लेकर नाग वंशी नरेशों , गुप्त काल आदि में भी शैव मत का प्रभलता रही हुण भी शैव मत के अनुयायी थे। मौखरी राजा शैव रहा। सातवी सदी से दसवी सदी तक सरे भारत में केवल शिव का पूजा का ही प्रधानता थी। शिव जी कि पूजा भारत में ही नहीं अपितु दुनिया के हर देश में प्राचीन काल से होती थी। मिश्रा , ब्रेजिल, बेबीलोन , स्काटलेंड , जावा , श्रीलंका ,चीन, अफ्घानस्थान , ऐरोप्य, अमेरिका कम्बोडिया आदि में शिवलिंग पाये गए है . जिससे य सिद्ध होता है कि प्राचीन काल में शैव धर्म से ओतप्रोत था। Advertisements  Categories: Uncategorized Tags: शिव गीता, shaiv darshan shiv gita, shiva gita Leave a Comment jaganatah karanje Blog at WordPress.com. Back to top
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