Wednesday, 29 March 2017

ब्रह्म

मुख्य मेनू खोलें  खोजें मेरी अधिसूचनाएँ दिखाएँ 1 संपादित करेंध्यानसूची से हटाएँ।किसी अन्य भाषा में पढ़ें ब्रह्म ब्रह्म (संस्कृत : ब्रह्मन्) हिन्दू (वेद परम्परा, वेदान्त और उपनिषद) दर्शन में इस सारे विश्व का परम सत्य है और जगत का सार है। वो दुनिया की आत्मा है। वो विश्व का कारण है, जिससे विश्व की उत्पत्ति होती है , जिसमें विश्व आधारित होता है और अन्त मे जिसमें विलीन हो जाता है। वो एक और अद्वितीय है। वो स्वयं ही परमज्ञान है, और प्रकाश-स्त्रोत की तरह रोशन है। वो निराकार, अनन्त, नित्य और शाश्वत है। ब्रह्म सर्वशक्तिमान और सर्वव्यापी है। ब्रम्ह हिन्दी में ब्रह्म का ग़लत उच्चारण और लिखावट है। परब्रह्म संपादित करें परब्रह्म या परम-ब्रह्म ब्रह्म का वो रूप है, जो निर्गुण और असीम है। "नेति-नेति" करके इसके गुणों का खण्डन किया गया है, पर ये असल मे अनन्त सत्य, अनन्त चित और अनन्त आनन्द है। अद्वैत वेदान्त में उसे ही परमात्मा कहा गया है, ब्रह् ही सत्य है,बाकि सब मिथ्या है। 'ब्रह्म सत्यम जगन मिथ्या,जिवो ब्रम्हैव ना परः वह ब्रह्म ही जगत का नियन्ता है। अपरब्रह्म संपादित करें अपरब्रह्म ब्रह्म का वो रूप है, जिसमें अनन्त शुभ गुण हैं। वो पूजा का विषय है, इसलिये उसे ही ईश्वर माना जाता है। अद्वैत वेदान्त के मुताबिक ब्रह्म को जब इंसान मन और बुद्धि से जानने की कोशिश करता है, तो ब्रह्म माया की वजह से ईश्वर हो जाता है। इन्हें भी देखें संपादित करें ब्रह्मा संवाद Last edited 2 months ago by Sanjeev bot RELATED PAGES वेदान्त दर्शन भारतीय / हिन्दू दर्शन की आस्तिक धाराओं में एक प्रमुख धारा नेति नेति अद्वैत वेदान्त हिन्दू दर्शन की एक प्रमुख शाखा  सामग्री CC BY-SA 3.0 के अधीन है जब तक अलग से उल्लेख ना किया गया हो। गोपनीयताडेस्कटॉप

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