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सोमेन-आदित्या: बलिन: ( अथर्ववेद १४-१-२)
अथर्ववेद में वर्णन है कि सूर्य की ऊर्जा का आधार सोम अर्थात हाइड्रोजन है।
सोम से सूर्य को शक्ति मिलती है।
यजुर्वेद में इसको दूसरे रूप में प्रस्तुत किया गया है।
मंत्र का कथन है कि
१- 'अपां रसम्' जल का सार भाग है जो ऊर्जा के रूप में है
२-' अपां रसस्य यो रस: ' का अर्थ है जल के सार भाग का सार भाग। जल का सार भाग हाइड्रोजन है और उसका सार भाग हीलियम है। मंत्र में ' सूर्यें सन्तं समाहितम' के द्वारा स्पष्ट किया गया है कि ये दोनों तत्व सूर्य में विद्यमान है।
✒✔ आधुनिक विज्ञान जो बातें अभी १०० बर्षों में जाना है हमारे मनीषी बहुत पहले जान गए थे किन्तु आगे इस ज्ञान का सम्यक प्रयोग ना हो सका नहीं तो Foren return, NRl, Researc ... आदि शब्दों को कुछ ओर ही अर्थ होता।
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