Monday, 24 July 2017

मनुष्यों की वृत्ति को अर्थ कहते हैं। मनुष्योक्त भूमि ही अर्थ है।"मनुष्याणां वृतिर।"

मनुष्यों की वृत्ति को अर्थ कहते हैं। मनुष्यों से संयुक्त भूमि ही अर्थ है।
उसकी प्राप्ति तथा पालन के उपायों की विवेचना करनेवाले शास्त्र को अर्थशास्त्र कहते हैं।

चाणक्य कौटिल्य ने वही संस्कृत में कुछ इस तरह से कहा है___

"मनुष्याणां वृतिरर्थः तस्या पृथिव्या लाभपालनोपायः शास्त्रमर्थ-शास्त्रमिति।"

प्राचीन आचार्यों ने पृथ्वी जीतने और पालन के उपाय बताने वाले जितने अर्थशास्त्र लिखे हैं, प्रायः उन सबका सार लेकर ‘कौटिल्य अर्थशास्त्र’ जैसे एक वृहद शास्त्र का निर्माण किया गया !

"पृथिव्या लाभे पालने च यावन्त्यर्थशास्त्राणि पूर्वाचार्ये: प्रस्तावितानि,
प्रायश: तानि संहृत्य एकमिदमर्थशास्त्र कृतम्।"

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