Thursday 20 July 2017

धारणा

मुख्य मेनू खोलें  खोजें संपादित करेंइस पृष्ठ का ध्यान रखेंकिसी अन्य भाषा में पढ़ें धारणा Dharana चित्त को किसी एक विचार में बांध लेने की क्रिया को धारणा कहा जाता है। यह शब्द 'धृ' धातु से बना है। पतञ्जलि के अष्टांग योग का यह छठा अंग या चरण है। वूलफ मेसिंग नामक व्यक्ति ने धारणा के सम्बन्ध में प्रयोग किये थे। परिचय संपादित करें धारणा अष्टांग योग का छठा चरण है। इससे पहले पांच चरण यम, नियम, आसन, प्राणायाम और प्रत्याहार हैं जो योग में बाहरी साधन माने गए हैं। इसके बाद सातवें चरण में ध्यान और आठवें में समाधि की अवस्था प्राप्त होती है। धारणा शब्द ‘धृ’ धातु से बना है। इसका अर्थ होता है संभालना, थामना या सहारा देना। योग दर्शन के अनुसार- देशबन्धश्चित्तस्य धारणा। (योगसूत्र 3/1) अर्थात्- किसी स्थान (मन के भीतर या बाहर) विशेष पर चित्त को स्थिर करने का नाम धारणा है। आशय यह है कि यम, नियम, आसन, प्राणायाम और प्रत्याहार द्वारा इंद्रियों को उनके विषयों से हटाकर चित्त में स्थिर किया जाता है। स्थिर हुए चित्त को एक ‘स्थान’ पर रोक लेना ही धारणा है। बाहरी कड़ियाँ संपादित करें धारणा Last edited 1 month ago by चक्रबोट RELATED PAGES राज योग अष्टांगयोग अष्टांग योग  सामग्री CC BY-SA 3.0 के अधीन है जब तक अलग से उल्लेख ना किया गया हो। गोपनीयताडेस्कटॉप

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