महासाधना करने की विधि है...
एनर्जी गुरु की सिद्धियों का रहस्य क्या है... एनर्जी गुरु राकेश आचार्या जी उच्च कोटि के सिद्ध साधक हैं. वे अपना आधिकांश समय रिसर्च और साधनाआें में ही बिताते हैं. उनकी साधनायें एनर्जी विज्ञान पर आधरित होती हैं. जिसमें मंत्रों की उर्जा को साधक की कुंडली व उसके उर्जा चक्रों में सीधे उतार दिया जाता है. साथ ही साधक की उर्जा को साधना के देवता के उर्जा क्षेत्र से सीधे जोड़ दिया जाता है. इसके कारण उनके द्वारा कराई गई साधनायें बडी सटीकता से सफल हो जाती हैं. इसी कारण जिन साधनाआें की सफलता में दूसरे साधकों को वर्षों- महीनों का समय लगता है. एनर्जी विज्ञान के आधार पर की गई वही साधनायें कुछ ही समय में सिद्ध हो जाती हैं. लम्बे अनुसंधान से उपजा उनकी साधनाआें का विज्ञान विश्व में बेजोड़ है. उनके सनिग्ध में साधनायें करने वालों के जीवन में सिद्धी- प्रसिद्धी-समृद्धी आ ही जाती है.
क्या कोई भी उनके साथ साधनायें कर सकता है... नही, पहले वे साधक की उर्जाआें का परीक्षण करते हैं. यदि साधक की उर्जा साधना लायक मिली तो ही उसे साधना कराते हैं. जिनकी उर्जा साधना लायक नही होती, एनर्जी गुरु पहले उनकी उर्जा को साधना के लायक तैयार कराते हैं. वे उच्च स्तरीय साधकों को तैयार करते हैं. ताकि साधक सफल साधनायें करके अपना और दूसरों का हित कर सकें. साथ ही वे साधकों को संजीवनी उपचार सिखाकर उन्हें लोककल्याण के लिये सक्षम बनाते हैं.
महासाधना सफल जीवन का शुभारम्भ
क्या है महासाधना... जब 1000 से अधिक लोग एक ही समय में एक ही मंत्र से साधना करते हैं, तो उसके नतीजे मल्टीप्लाई होकर एक लाख गुना बढ़ जाते हैं। साधना की इस स्थिति को महासाधना कहा जाता है। रोज इतनी बड़ी संख्या में साधकों के साथ साधना का आयोजन बड़ा कठिन काम होता है। उर्जा विज्ञान पर मजबूत कमांड होने के कारण हमारे गुरुजी ने इसके लिये सरल विधि खोज ली है। जिससे गुरु जी द्वारा कराई जा रही महासाधना में हर दिन देश विदेश के लाखों शामिल हो रहे हैं।
इस विधि से आप घर बैठे ही महासाधना कर सकते हैं। कुंडली जागरण रुद्राक्ष को गले में धारण करके 10 मिनट सुबह 7 से 7.10 बजे तक. या 10 मिनट रात में 10 से 10.10 बजे तक साधना के लिये बैठें। महासाधना में एनर्जी गुरु जी कुंडली जागरण रुद्राक्ष को माध्यम बनाकर शक्तिपात करके साधकों की उर्जाआें को साफ व संतुलित करते हैं। जिससे साधकों की कुंडली सहित दूसरी आंतरिक शक्तियों का जागरण होता है। सुखी जीवन की स्थापना होती है।
महासाधना के लाभ क्या हैं.... महासाधना के दौरान गुरु जी साधकों को गले में पहने कुंडली जागरण रुद्राक्ष के माध्यम से अपनी उर्जा के साथ जोड़ लेते हैं। फिर उनके सूक्ष्म शरीर, उर्जा चक्रों को साफ व संतुलित करते हैं। साथ ही उनके उर्जा चक्रों को जाग्रत करते हैं। कुंडली व सौभग्य चक्र को विशेष रूप से जाग्रत करते हैं। इससे साधक के भीतर समस्याआें से मुक्त होने की क्षमतायें जाग उठती हैं। सुख-समृद्धी की शक्तियां जाग जाती हैं। अध्यात्मिक क्षमतायें जाग जाती हैं। साधक के भीतर का शिव तत्व जाग जाता है। सीधे कहें तो साधकों के भीतर शिव जाग जाते हैं। उनकी शक्तियां जाग जाती हैं। तब साधक दूसरों को भी दुखों से मुक्त करने की क्षमता का उपयोग करने में सक्षम हो जाते है।
महासाधना करने की विधि क्या है... इसकी विधि सरल होते हुये भी बहुत ही प्रभावशाली है। शुरू करने के २ हफ्तों के भीतर ही चेहरे की चमक बढ़ने लगती है। महासाधना शुरू करने से पहले कम से कम ५ मिनट तक योग या एक्सरसाइज करें। फिर साफ सुथरी जगह पर बैठ जायें।
किसी कारण से आसन पर न बैठ सकें तो कुर्सी या सोफे पर बैठ सकते हैं। मगर सोने वाले बिस्तर पर न बैठें।
भगवान शिव को और शिव शिष्य एनर्जी गुरू डा. राकेश आचार्या का ध्यान करें। भगवान शिव से प्रार्थना पूर्वक संकल्प लें। मन ही मन कहें हे शिव आप मेरे गुरु हैं मै आपका शिष्य हूं, मुझ शिष्य पर दया करें। आपको साक्षी बनाकर मै एनर्जी गुरु जी द्वारा करायी जा रही महासाधना में शामिल हो रहा हूं। इसे स्वीकार करें और साकार करें।
१६ बार लम्बी और गहरी सांसे लेकर मंत्र जाप शुरू कर दें।
महासाधना के मंत्र....इसके लिये दो मंत्र हैं। उनका जाप १० मिनट माला का उपयोग किये बिना करें। जाप के समय आंखें बंद रखें।
Odd Date 1,3,5,7,9,11.......का मंत्र - ऊं ह्रौं जूं सः माम् पालय पालय सः जूं ह्रौं ऊं ।महासाधना में इस मंत्र के उपयोग से बीमारियों, विवादों, रुकावटों को खत्म करने वाली उर्जाआें का संचार किया जाता है। जिससे कुंडली सहित आत्म शक्तियों का जागरण भी होता है।
Even Date 2,4,6,8,10,12.....का मंत्र - ऊं शं शंकराय धनम् देहि देहि ऊं। महासाधना में इस मंत्र के उपयोग से धन-समृद्धी, आत्मबल व सम्मान को बढाने वाली उर्जाआें का संचार किया जाता है।
मंत्र जाप के बाद भगवान शिव और एनर्जी गुरु राकेश आचार्या को दक्षिणा के रूप में धन्यवाद दें। फिर धरती मां को प्रणाम व धन्यवाद करके उठ जायें। ५ मिनट का योग या एक्सरसाइज दोबारा करें। जो लोग किसी वजह से महासाधना से पहले और बाद में एक्सरसाइज नही कर सकते। वे पहले और बाद में 5- 5 मिनट हाथों की मुट्ठियाँ भींचकर जोर जोर से ऊपर उठाते हुए तेज आवाज में हर हर महादेव बोलें। ध्यान रखें हर हर महादेव बोलते हुए मन में किसी तरह की झिझक या शर्म के भाव नही होने चाहिए।
क्या महासाधना में कोई भी बैठ सकता है... हां, जिनके पास गले में धारण करने वाला कुंडली जागण रुद्राक्ष है वे सभी लोग महासाधना में बैठ सकते हैं। चाहे उनकी एनर्जी रिपोर्ट बनी हो या न बनी हो।
कुंडली जागरण रुद्राक्ष क्या होता है... ये बड़ा ही चमत्कारिक होता है। सात मुखी से ऊपर वाले 100 रुद्राक्ष में से 2 रुद्राक्ष ही कुंडली जागरण करने में सक्षम होते हैं। एनर्जी रीड करके उनका पता लगाया जाता है। फिर उन्हें जाग्रत करके सिद्ध किया जाता है। उसके बाद जिस व्यक्ति को चाहिये उसकी एनर्जी से मैच कराकर संजीवनी उपचार और कुंडली जागरण के लिये इसे प्रोग्राम किया जाता है। यदि ऐसे एक रुद्राक्ष को तैयार किया जाये तो पूरी प्रक्रिया पर 25 हजार से भी अधिक का खर्च आता है। सामूहिक रूप से इन्हें तैयार करने पर प्रति रुद्राक्ष खर्च कम होता जाता है। इसे धारण करने वालों की उर्जाआें को एनर्जी गुरु जी दूर से ही नियंत्रित करके ठीक कर देते हैं। इसे धारण किये हुए लोग हर क्षण गुरु जी की उर्जाआें से जुड़े होते हैं। इस तरह से गुरु जी द्वारा की जा रही ध्यान-साधनाआें की उर्जायें उन्हें स्वतः मिल रही होती हैं। साथ ही वे जब चाहें कामना करके गुरु जी की उर्जाआें को प्राप्त करके उनका लाभ ले सकते हैं। ये बड़ी ही चमत्कारिक क्रिया होती है ।
( यदि आपको ये कहीं न मिल पा रहा हो तो हमारे संस्थान से प्राप्त कर सकते हैं। )
क्या महासाधना के लिये गुरु जी के पास आना जरूरी है... नहीं। साधना करने वाले लोग गले में कुंडली जागरण रुद्राक्ष पहनकर अपने घर, प्रतिष्ठान, किसी पार्क या अन्य शांत जगह बैठ जाते हैं। कुंडली जागरण रुद्राक्ष के माध्यम से एनर्जी गुरु जी उन्हें अपने साथ जोड़कर उन पर शक्तिपात करते हैं।
महासाधना कब से शुरू करें... महासाधना रोज होती है। इसे कभी भी शुरु कर सकते हैं। अपने सुखों के लिये हमेशा करें।
क्या महासाधना के समय कोई परहेज करना होगा... इसमें कोई खास परहेज नहीं है। डाक्टर जिसकी इजाजत दें, वो सब कुछ खा पी सकते हैं। शानदार नतीजों के लिये गुस्से से बचें। और किसी की आलोचना न करें। महिलायें पीरियड के दिनों में महासाधना न करें। कोई कंफ्यूजन हो तो हमारे कार्यालय में 9250300800 पर बात कर लें.
सत्यम शिवम् सुंदरम
शिव गुरु को प्रणाम
गुरुदेव को नमन.अपना पंडित खुद बनें-1
सभी को राम राम
अक्सर देखने में आता है लोग अच्छे मन से, पूरे विश्वास से पूजा पाठ करते हैं. मगर उन्हें वांक्षित फल नही मिल पाता. क्योंकि मंत्र जाप, साधना-अराधना, पूजा-पाठ के नियमों की सही जानकारी नही होती.
पुजारी-पंडितों से पूछने पर ज्यादातर मामलों में मनगढ़ंत जानकारी ही मिल पाती है. वे कहते हैं ऐसा शास्त्रों में लिखा है. जबकि 99 प्रतिशत से भी अधिक पंडित-पुजारियों ने शास्त्र पढ़ा ही नही. दरअसल उन्हें शास्त्र पढ़ना आता ही नही. वे जिन्हें शास्त्र समझते हैं वे बाजार में बिकने वाली साधारण किताबें हैं.
यहां हम ये नही कह रहे कि सभी पुजारी पंडित गड़बड़ हैं. कुछ वास्तविक विद्वान भी हैं, उन्हीं के बूते धर्म टिका है. मगर उनकी संख्या इतनी कम होती जा रही है कि उन तक सबकी पहुंच नही हो पा रही.
दुर्भाग्य से गड़बड़ करने वालों की तादाद अधिक हो गयी है. इनकी व्यापकता इतनी अधिक है कि उसे रोका नही जा सकता.
ऐसे में अध्यात्म का लाभ उठाने के लिये आपको अपना पंडित खुद बनना होगा.
इसमें हम आपके साथ हैं. अध्यात्म से जुड़े सवाल पूछ सकते हैं. हम उनका शास्त्र व विज्ञान सम्मत सुझाव देंगे.
इसके लिये नीचे दिये लिंक को क्लिक करके महासाधना ग्रुप को ज्वाइन कर लें.
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संकल्प में घोटालाः पूजा अनुष्ठान की विफलता का बड़ा कारण
राम राम
लाखों खर्च करके की गई पूजा भी असफल हो जाती है. यदि उसके संकल्प में दोष हो तो.
जो खाना खाता है पेट उसी का भरता है,
जो दवा खाता है ठीक वही होता है,
जो योग-इक्सरसाइज करता है फायदा उसे ही होता है.
तो फिर मंत्र जपने वाले पंडित जी को ही उसका फल मिलना चाहिये न कि यजमान (पूजा-अनुष्ठान कराने वाला व्यक्ति) को.
अध्यात्म ने इसके लिये बहुत ही सटीक विज्ञान की रचना की.
वो है संकल्प पद्धति.
संकल्प में यजमान का परिचय, जहां पूजा कर रहे हैं उस स्थान का परिचय, उस समय का परिचय, देश काल का परिचय, मंत्र या अनुष्ठान का परिचय देकर यजमान की कामना अर्थात अनुष्ठान का उद्देश्य बोला जाता है.
इस तरह पूजा कराने वाले व्यक्ति की उर्जा को सम्बंधित देवता की उर्जा से लिंक कर दिया जाता है. तब पूजा से प्राप्त उर्जायें यजमान तक पहुंचती हैं. उसे निर्धारित फल प्राप्त होता है.
*एक तरह से संकल्प वो एड्रेस (पता) होता है जिसके जरिये अनुष्ठान के देवता की उर्जायें यजमान तक पहुंचती है*.
मगर आजकल ज्यादातर पंडित पुरोहित पूजा अनुष्ठान में दोष पूर्ण संकल्प करा रहे हैं. इसे संकल्प में घोटाला कहा जाये तो अनुचित न होगा. जिसके कारण लाखों खर्च करके भी लोगों को पूजा अनुष्ठान का फल नही मिलता.
नीचे ध्यान दें आप समझ जाएंगे गड़बड़ कहां है.
पूजा अनुष्ठान के समय आपने देखा होगा पंडित जी हथेली में पानी देकर संकल्प बोलते हैं. फिर कहते हैं जल को जमीन पर गिरा दें.
पंडित जी द्वारा बोला जा रहा संकल्प मंत्र कुछ इस तरह होता है...
ओउमतत्सदध्ये तस्य ब्राह्मो ह्नी द्वितीय परर्द्धे श्रीश्वेतवाराहकल्पे जम्बूद्वीपे भरतखंडे आर्यावर्त अंतर्गत देशे वैवस्त मन्वन्तरे अष्टाविंशतितमे कलियुगे प्रथम चरने श्री विक्रमार्क राज्यदमुक संवत्सर........
वे बीच में कहते हैं आप लोग अपना अपना नाम और गोत्र का नाम बोलें.
... उसके बाद पंडित जी बाकी संकल्प मंत्र बोलने लगते हैं.
ये गलत है.
इसे एेसे समझें जैसे एक कागज पर पता लिखा है. उसके दो टुकड़ों कर दिये गये. आधा पंडित जी ले गये आधा आपके हिस्से आया. एेसे टुकड़ों से कोई भी निर्धारित पते तक नही पहुंच सकता. क्योंकि दोनो के पते अधूरे हैं.
*इतनी सी चूक पूरे पूजा-अनुष्ठान को निष्फल कर देती है*.
होना ये चाहिये....
संकल्प यजमान खुद बोले.
संस्कृत न बोल पाने की दशा में पंडित जी एक एक शब्द बोलें और यजमान उन शब्दों को दोहराकर संकल्प पूरा करे.
या यजमान द्वारा सरल हिन्दी में संकल्प बोला जाये.
ध्यान रखें देवी देवता और उनकी उर्जायें हर भाषा समझते हैं.
*सरल हिन्दी में संकल्प*...
मै आत्मास्वरूप (आत्मा को सांसारिक परिचय की जरूरत नही होती)
देवों के देव महादेव ( या जिस देवता में अधिक लगन हो उसका नाम ले सकते हैं)
को साक्षी बनाकर मौजूदा देश काल में ब्रह्मांड में स्थिति ग्रह- नक्षत्रों की उपस्थिति में यथासामर्थ्य
(यदि पूजा खुद नही कर रहे हों तो उन पंडित जी का नाम व गोत्र नाम लें जिनसे करा रहे हैं )
..... के द्वारा
मंत्र/अनुष्ठान (जिस पूजा को कर रहे हैं उसका नाम)
सम्पन्न कर रहा/रही हूं. इसकी सफलता हेतु संसार की समस्त शक्तियां मुझे दैवीय सहायता और सुरक्षा प्रदान करें.
इसके लिये सभी शक्तियों को धन्यवाद.
फिर अपनी पूजा आरम्भ करें.
पूजा के नियमों को निभाया तो मनचाहे परिणाम मिल ही जाएंगे.
ध्यान रखें कर्मकांड करने वाले ज्यादातर पंडित-पुजारी देवदोष से गुजर रहे होते हैं. क्योंकि जाने अनजाने पूजा पाठ में उनसे चूक होती ही रहती है. इस कारण उनके स्वभाव में अहमं उत्पन्न हो जाता है.
एेसे में यदि आपने उन्हें संकल्प का स्वरूप बदलने की सलाह दी तो तुरंत बुरा मान बैठेंगे. जिससे उनका मन खराब हो जाएगा. खराब मन से की पूजा दुष्परिणाम देती है.
इसलिये पंडित जी जो औपचारिकता कर रहे हों उन्हें करने दें.
हिंदी वाला संकल्प आप स्वतः मन में ले लें.
सदैव याद रखें पूजा पाठ कराने आने वाले पंडितों का कभी अपमान न करें. इससे उनका देवदोष बहकर आप पर आ जाएगा. जो कठोर समस्या का कारण बनता है.
इस समस्या का कोई इलाज नही होता.
आपका जीवन सुखी हो यही हमारी कामना है.
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