This website is all about The Treatment and solutions of General health Problems and Beauty Tips ,Sexual Related Problems and it's solution for Male and Females. Home Treatment,Ayurveda Treatment ,Homeopathic Remedies. Ayurveda Treatment tips in Hindi also you can read about health , beauty and wellness Related problems and treatment for male , female and children too   Home / आस्था-ज्योतिष-वास्तु / मन्त्र जप के लिए माला का संस्कार कैसे करे मन्त्र जप के लिए माला का संस्कार कैसे करे 8:35 am आस्था-ज्योतिष-वास्तु कोई भी जप,साधना या अनुष्ठान में माला की जरुरत होती है और लोग बाजार से माला(Rosary)खरीदकर उसी से जप आरम्भ कर देते है लेकिन ऐसी माला से जप करना निरर्थक व निषिद्ध है क्योंकि इस प्रकार की माला से कोई लाभ या सिद्धि सम्भव नहीं है और फिर आप लोग ये दोष ये लगा देते है कि हमने तो इतना जप कर लिया लेकिन कोई फायदा नहीं है ये सब कोरी बकवास है-  तो आज आप सभी लोगो को बताना चाहता हूँ कि अधूरा ज्ञान ही पुस्तको में उल्लेखित किया गया है बस मन्त्र लिख दिया है और माला किसकी हो ये भी लिख दिया है लेकिन आप नहीं जानते है कि दो चीज अधूरी है जैसे कि आप माला(Rosary)का संस्कार कैसे करेगे और मन्त्र का उत्कीलन कैसे होगा क्युकि कारण यह है कि कलयुग के प्रभाव को देखते हुए भगवान् शंकर ने सभी मंत्रो को कीलित कर दिया था ताकि मंत्रो इर्श्यावश कोई इसका दुरूपयोग न कर सके- आपको सर्वप्रथम माला खरीद कर विधि पूर्वक उसका संस्कार करना चाहिए अन्यथा जप निष्फल है अगर आपको इसका सही ज्ञान नहीं है तो किसी योग्य विद्धवान से उसका एक बार संस्कार अवश्य करा ले जिस तरह किसी भी मूर्ति में प्राण-प्रतिष्ठा के बाद वह मूर्ति चैतन्य हो जाती है उसी प्रकार माला के संस्कार(Rosary Sanskar)से माला चैतन्य अवस्था में हो जाती है और उसके द्वारा किया गया जप फलदाई हो जाता है - पुस्तकों में आपको जो माला संस्कार(Rosary Sanskar)की विधि जो प्राप्त होती है उसमें कुछ न कुछ कमी अवश्य रहती है जैसे संस्कार दिया है तो प्राणप्रतिष्ठा नहीं होती आज आप सब के लाभार्थ मैं माला संस्कार की संपूर्ण विधि पर प्रकाश डाल रहा हूँ और आशा करता हूँ कि साधक भाई-बहनो के कुछ काम आ जाये- माला संस्कार(RosarySanskar)विधि- साधक सर्वप्रथम स्नान आदि से शुद्ध हो कर अपने पूजा गृह में पूर्व या उत्तर की ओर मुह कर आसन पर बैठ जाए अब सर्व प्रथम आचमन और पवित्रीकरण करने के बाद गणेश-गुरु तथा अपने इष्ट देव/ देवी का पूजन सम्पन्न कर ले- तत्पश्चात पीपल के 09 पत्तो को भूमि पर अष्टदल कमल की भांति बिछा ले और एक पत्ता मध्य में तथा शेष आठ पत्ते आठ दिशाओ में रखने से अष्टदल कमल बनेगा अब इन पत्तो के ऊपर आप माला को रख दे तथा अब अपने समक्ष पंचगव्य तैयार कर के रख ले किसी पात्र में और उससे माला को प्रक्षालित(धोये)करे- पंचगव्य क्या है- तो आप जान ले कि गाय का दूध, दही, घी, गोमूत्र, गोबर यह पांच चीज गौ का ही हो उसको पंचगव्य कहते है पंचगव्य से माला को स्नान करना है-स्नान करते हुए अं आं इत्यादि सं हं पर्यन्त समस्त स्वर वयंजन का उच्चारण करे - ॐ अं आं इं ईं उं ऊं ऋं ऋृं लृं लॄं एं ऐं ओं औं अं अः कं खं गं घं ङं चं छं जं झं ञं टं ठं डं ढं णं तं थं दं धं नं पं फं बं भं मं यं रं लं वं शं षं सं हं क्षं !! यह उपरोक्त मन्त्र का उच्चारण करते हुए माला को पंचगव्य से धो ले और ध्यान रखे इन समस्त स्वर का अनुनासिक(नाक द्वारा)उच्चारण होगा अब माला को पंचगव्य से स्नान कराने के बाद निम्न मंत्र बोलते हुए माला को जल से धो ले- ॐ सद्यो जातं प्रद्यामि सद्यो जाताय वै नमो नमः भवे भवे नाति भवे भवस्य मां भवोद्भवाय नमः !! अब माला को साफ़ वस्त्र से पोछे और निम्न मंत्र बोलते हुए माला के प्रत्येक मनके पर चन्दन- कुमकुम आदि का तिलक करे- ॐ वामदेवाय नमः जयेष्ठाय नमः श्रेष्ठाय नमो रुद्राय नमः कल विकरणाय नमो बलविकरणाय नमः बलाय नमो बल प्रमथनाय नमः सर्वभूत दमनाय नमो मनोनमनाय नमः !! अब धूप जला कर माला को धूपित करे और मंत्र बोले- ॐ अघोरेभ्योथघोरेभ्यो घोर घोर तरेभ्य: सर्वेभ्य: सर्व शर्वेभया नमस्ते अस्तु रुद्ररूपेभ्य: अब माला को अपने हाथ में लेकर दाए हाथ से ढक ले और निम्न ईशान मंत्र का 108 बार जप कर उसको अभिमंत्रित करे- ॐ ईशानः सर्व विद्यानमीश्वर सर्वभूतानाम ब्रह्माधिपति ब्रह्मणो अधिपति ब्रह्मा शिवो मे अस्तु सदा शिवोम !! अब साधक माला की प्राण-प्रतिष्ठा हेतु अपने दाय हाथ में जल लेकर विनियोग करे- ॐ अस्य श्री प्राण प्रतिष्ठा मंत्रस्य ब्रह्मा विष्णु रुद्रा ऋषय: ऋग्यजु:सामानि छन्दांसि प्राणशक्तिदेवता आं बीजं ह्रीं शक्ति क्रों कीलकम अस्मिन माले प्राणप्रतिष्ठापने विनियोगः !! अब माला को बाय हाथ में लेकर दायें हाथ से ढक ले और निम्न मंत्र बोलते हुए ऐसी भावना करे कि यह माला पूर्ण चैतन्य व शक्ति संपन्न हो रही है- ॐ आं ह्रीं क्रों यं रं लं वं शं षं सं हों ॐ क्षं सं सः ह्रीं ॐ आं ह्रीं क्रों अस्य मालाम प्राणा इह प्राणाः ! ॐ आं ह्रीं क्रों यं रं लं वं शं षं सं हों ॐ क्षं सं हं सः ह्रीं ॐ आं ह्रीं क्रों अस्य मालाम जीव इह स्थितः ! ॐ आं ह्रीं क्रों यं रं लं वं शं षं सं हों ॐ क्षं सं हं सः ह्रीं ॐ आं ह्रीं क्रों अस्य मालाम सर्वेन्द्रयाणी वाङ् मनसत्वक चक्षुः श्रोत्र जिह्वा घ्राण प्राणा इहागत्य इहैव सुखं तिष्ठन्तु स्वाहा ! ॐ मनो जूतिजुर्षतामाज्यस्य बृहस्पतिरयज्ञमिमन्तनो त्वरिष्टं यज्ञं समिमं दधातु विश्वे देवास इह मादयन्ताम् ॐ प्रतिष्ठ !! अब माला को अपने मस्तक से लगा कर पूरे सम्मान सहित स्थान दे-इतने संस्कार करने के बाद माला जप करने योग्य शुद्ध तथा सिद्धिदायक होती है- नित्य जप करने से पूर्व माला का संक्षिप्त पूजन निम्न मंत्र से करने के उपरान्त ही जप प्रारम्भ करे- ॐ अक्षमालाधिपतये सुसिद्धिं देहि देहि सर्व मंत्रार्थ साधिनी साधय-साधय सर्व सिद्धिं परिकल्पय मे स्वाहा ! ऐं ह्रीं अक्षमालिकायै नमः ! जप के समय हमेशा ही ध्यान रक्खे- 1- जप करते समय माला पर किसी भी व्यक्ति की दृष्टि नहीं पड़नी चाहिए - 2- गोमुख रूपी थैली(गोमुखी)में माला रखकर इसी थैले में हाथ डालकर जप किया जाना चाहिए अथवा वस्त्र आदि से माला आच्छादित कर ले अन्यथा जप निष्फल होता है - 3- अब मै आशा करता हूँ कि आप जब भी माला बाजार से ख़रीदेगे तो उपरोक्त विधान अनुसार संस्कार अवश्य करेगे - 4- संस्कारित माला से ही किसी भी मन्त्र जप करने से पूर्ण-फल की प्राप्ति होती है- जप के नियम- मंत्र तो हम सभी जपते है लेकिन अगर कुछ बातों का ध्यान रखा जाए तो वे मंत्र हमारे लिए बहुत फायदेमंद साबित हो सकते हैं- जप तीन प्रकार का होता है- वाचिक, उपांशु और मानसिक 1- वाचिक जप धीरे-धीरे बोलकर होता है उपांशु-जप इस प्रकार किया जाता है जिसे दूसरा न सुन सके और मानसिक जप में जीभ और ओष्ठ नहीं हिलते है-तीनों जपों में पहले की अपेक्षा दूसरा और दूसरे की अपेक्षा तीसरा प्रकार श्रेष्ठ है- 2- प्रातःकाल दोनों हाथों को उत्तान कर, सायंकाल नीचे की ओर करके तथा मध्यान्ह में सीधा करके जप करना चाहिए-प्रातःकाल हाथ को नाभि के पास, मध्यान्ह में हृदय के समीप और सायंकाल मुँह के समानांतर में रखे-घर में जप करने से एक गुना, गौशाला में सौ गुना, पुण्यमय वन या बगीचे तथा तीर्थ में हजार गुना, पर्वत पर दस हजार गुना, नदी-तट पर लाख गुना, देवालय में करोड़ गुना तथा शिवलिंग के निकट अनंत गुना फल प्राप्त होता है-जप की गणना के लिए लाख, कुश, सिंदूर और सूखे गोबर को मिलाकर गोलियाँ बना लें- 3- जप करते समय दाहिने हाथ को जप माली में डाल लें अथवा कपड़े से ढँक लेना आवश्यक होता है-जप के लिए माला को अनामिका अँगुली पर रखकर अँगूठे से स्पर्श करते हुए मध्यमा अँगुली से फेरना चाहिए-सुमेरु का उल्लंघन न करें और तर्जनी न लगाएँ-सुमेरु के पास से माला को घुमाकर दूसरी बार जपें- ये भी आप ध्यान रक्खे - 1- जप करते समय हिलना, डोलना, बोलना, क्रोध न करें, मन में कोई गलत विचार या भावना न बनाएँ अन्यथा जप करने का कोई भी फल प्राप्त न होगा- 2- शास्त्रों के मुताबिक मंत्रों का जप पूरी श्रद्धा और आस्था से करना चाहिए तथा साथ ही, एकाग्रता और मन का संयम मंत्रों के जप के लिए बहुत जरुरी है ये माना जाता है कि इनके बिना मंत्रों की शक्ति कम हो जाती है और कामना पूर्ति या लक्ष्य प्राप्ति में उनका प्रभाव नहीं होता है- 3- यहां मंत्र जप से संबंधित 12 जरूरी नियम और तरीके बताए जा रहे हैं जो गुरु मंत्र हो या किसी भी देव मंत्र और उससे मनचाहे कार्य सिद्ध करने के लिए बहुत जरूरी माने गए हैं- माला जप के जरुरी 12 नियम- 1- मंत्रों का पूरा लाभ पाने के लिए जप के दौरान सही मुद्रा या आसन में बैठना भी बहुत जरूरी है इसके लिए पद्मासन मंत्र जप के लिए श्रेष्ठ होता है इसके बाद वीरासन और सिद्धासन या वज्रासन को प्रभावी माना जाता है- 2- मंत्र जप के लिए सही वक्त भी बहुत जरूरी है इसके लिए ब्रह्ममूर्हुत यानी तकरीबन 4 से 5 बजे या सूर्योदय से पहले का समय श्रेष्ठ माना जाता है-प्रदोष काल यानी दिन का ढलना और रात्रि के आगमन का समय भी मंत्र जप के लिए उचित माना गया है- 3- यदि आप वक्त भी साध(निश्चित)न पाएं तो सोने से पहले का समय भी चुना जा सकता है- 4- मंत्र जप प्रतिदिन नियत समय पर ही करें- 5- एक बार मंत्र जप शुरु करने के बाद बार-बार स्थान न बदलें-एक स्थान नियत कर लें- 6- मंत्र जप में तुलसी, रुद्राक्ष, चंदन या स्फटिक की 108 दानों की माला का उपयोग करें-यह प्रभावकारी मानी गई है- 7- किसी विशेष जप के संकल्प लेने के बाद निरंतर उसी मंत्र का जप करना चाहिए- 8- मंत्र जप के लिए कच्ची जमीन, लकड़ी की चौकी, सूती या चटाई अथवा चटाई के आसन पर बैठना श्रेष्ठ है-सिंथेटिक आसन पर बैठकर मंत्र जप से बचें- 9- मंत्र जप दिन में करें तो अपना मुंह पूर्व या उत्तर दिशा में रखें और अगर रात्रि में कर रहे हैं तो मुंह उत्तर दिशा में रखें- 10- मंत्र जप के लिए एकांत और शांत स्थान चुनें-जैसे- कोई मंदिर या घर का देवालय- 11- मंत्रों का उच्चारण करते समय यथासंभव माला दूसरों को न दिखाएं-अपने सिर को भी कपड़े से ढंकना चाहिए- 12- माला का घुमाने के लिए अंगूठे और बीच की उंगली का उपयोग करें-माला घुमाते समय माला के सुमेरू यानी सिर को पार नहीं करना चाहिए, जबकि माला पूरी होने पर फिर से सिर से आरंभ करना चाहिए- विशेष- कुछ विशेष कामनों की पूर्ति के लिए विशेष मालाओं से जप करने का भी विधान है-जैसे धन प्राप्ति की इच्छा से मंत्र जप करने के लिए मूंगे की माला, पुत्र पाने की कामना से जप करने पर पुत्रजीवक के मनकों की माला और किसी भी तरह की कामना पूर्ति के लिए जप करने पर स्फटिक की माला का उपयोग करें-इस प्रकार की संस्कारित माला और नियम आपको अवस्य ही फल प्रदान करते है- Read Next Post- आप अपने घर में पूजा कैसे करें Upcharऔर प्रयोग- SHARE THIS Facebook आस्था-ज्योतिष-वास्तु मन्त्र जप के लिए माला का संस्कार कैसे करे आस्था-ज्योतिष-वास्तु मन्त्र(Mantra)साधना के लिए नियम क्या हैं आस्था-ज्योतिष-वास्तु मन्त्र(Mantra)जप में सफलता क्यों नहीं मिलती है NEXT क्या आपको टान्सिल(Tonsils)हुआ है PREVIOUS मन्त्र(Mantra)साधना के लिए नियम क्या हैं POST COMMENT BLOGGER DISQUS FACEBOOK 4 टिप्पणियां:  my kisan dostमई 19, 2016 Bhut hi acchi jankari di he aapne dhanyvaad उत्तर दें  बेनामीअगस्त 19, 2016 thanking you for sharing this informations उत्तर दें  बेनामीदिसंबर 14, 2016 Very Good Information you have provided i appreciate it. Thanks for good work Keep it up !! उत्तर दें  HIMANSHI SHARMAमई 06, 2017 shriman ji namaskar,, sir mujhe yantra siddh kaise krte hai batane ka kasht kre. avam siddhi kisme kre matlab bhoj patra me ya tamra yantra me taki shighra labh mil ske. apka abhar hoga उत्तर दें  SOCIAL COUNTER 5kLikes 8kFollowers 795Followers 2.8kSubscribes 524Followers 700Subscribes  INSERT YOUR DISEASE & SEARCH POST  खोज कुल पेज दृश्य  14047592 POPULAR POSTS  गांठ का घरेलू इलाज क्या है  Liver-लीवर आपका सही नहीं काम कर रहा है  बच्चेदानी में सूजन का कारण और उपचार  गिलोय रामबाण इलाज है  संतान प्राप्ति के नियम और उपाय  पेशाब में जलन हो तो करें ये घरेलू उपचार  क्या आप दुबलेपन(Debility)से परेसान है तो वजन बढ़ाये  RECENT POSTS COMMENTS स्तन(Breast)का आकार प्राकर्तिक कम कैसे करें Satyan SrivastavaAug 18, 2017 पेट के रोगों में कारगर मुखवास(Mukhwas)बनायें Satyan SrivastavaAug 18, 2017 स्तंभन दोष यानि इरेक्टाइल डिस्फंक्शन(Erectile dysfunction)का इलाज Upchar और प्रयोगAug 17, 2017 एंजाइटी डिसऑर्डर(Anxiety disorder)के लक्षण और चिकित्सा Upchar और प्रयोगAug 17, 2017 FACEBOOK  MORE FROM AROUND THE WEB by   Kolkata Men Use New Method To Regrow Hair On Bald Patches  मोटापा घटाने का 1 देसी नुस्खा जो नेचुरली बनाए शरीर को पतला  पुणे की मीरा ने 1 घरेलू तरीके से सिर पर उगाए घने बाल (नो सर्जरी)  पुणे की मीरा ने 1 घरेलू तरीके से सिर पर उगाए घने बाल- नो सर्जरी  1 घरेलु नुस्खे से अतिरिक्त चर्बी घटाकर पाएं पतला शरीर  दो सप्ताह में आपके स्तन बड़े हो जायेंगे GOOGLE+ FOLLOWERS  FOLLOW BY EMAIL  Email address... SUBMIT लेबल आयुर्वेद वनस्पति-गुणधर्म आयुर्वेद-घरेलू-उपचार गर्भावस्था-देखभाल-आहार चर्मरोग-रक्त विकार-एलर्जी जानकारी-प्रयोग थायरायड(THYROID) दर्द-सायटिका-जोड़ों का दर्द दांतों की देखभाल पुष्प-चिकित्सा(बैच-फ्लावर) बच्चों की देखभाल बालों की समस्या बुखार-न्युमोनिया-टायफायड मधुमेह-कोलेस्ट्रॉल महिलाओं के रोग मोटापा-वजन-कैलोरी योगा-स्वास्थ्य यौन-समस्या-उपचार ल्यूकोडर्मा-विटिलिगो-सफ़ेद दाग विशिष्ठ लेख सूर्यकिरण जल चिकित्सा सौन्दर्य-टिप्स स्वास्थ्य-सौन्दर्य स्वास्थ्य-हेल्थ TAGS अजीर्ण अनिंद्रा अरुचि अल्सर आँखों के रोग आयुर्वेद वनस्पति-गुणधर्म आयुर्वेद-घरेलू-उपचार आहार ही औषिधि एक्जीमा एलर्जी(Allergies) कब्ज-गैस-अफारा किडनी के रोग खांसी-नजला-जुकाम गर्भावस्था-देखभाल-आहार चर्मरोग-रक्त विकार-एलर्जी जानकारी-प्रयोग जोड़ों का दर्द-गठिया टान्सिल उपचार डायरिया-आंव तुतलाना(Stutter) तैल त्राटक-ध्यान-योग थायरायड(Thyroid) दर्द-सायटिका-जोड़ों का दर्द दांतों की देखभाल दाद दुर्बलता-कमजोरी नस का चढ़ना पथरी उपचार पुरुष रोग पुष्प-चिकित्सा(बैच-फ्लावर) प्राकृतिक-चिकित्सा फोड़े-फुंसी-सूजन-कांख का फोडा बच्चों की देखभाल बालों की समस्या बुखार-न्युमोनिया-टायफायड ब्लडप्रेशर-रक्तचाप भूख न लगना मधुमेह मधुमेह-कोलेस्ट्रॉल मसाज महिलाओं के रोग मानसिक रोग-हिस्टीरिया-मिर्गी-मस्तिष्क टॉनिक मुंह के रोग मूत्राशय-रोग मोटापा-वजन-कैलोरी यूरिक एसिड-गठिया योगा-स्वास्थ्य यौन-समस्या-उपचार ल्यूकोडर्मा-विटिलिगो-सफ़ेद दाग विशिष्ठ लेख सायटिका सिरदर्द-माइग्रेन सूर्यकिरण जल चिकित्सा सौन्दर्य-टिप्स स्तन रोग स्वप्नदोष स्वास्थ्य-सौन्दर्य हर्निया हेल्थ-सौन्दर्य-टिप्स होम्योपैथी-चिकित्सा Upchar-स्वप्नदोष-नपुंसकता-कमजोरी ब्लॉग आर्काइव ▼ 2017 (421) ► August (13) ▼ July (44) कचनार(Bauhinia)आपके लिए एक उपयोगी औषिधि है झूठ-सच(Lies-Truth)का अंतर आप कैसे पहचाने पथरी(Pathri)का घरेलू उपचार करें अच्छे स्वास्थ्य के लिए नींद लेना जरुरी है स्वास्थ्य वर्धक गुणकारी है छुहारे(Chuhare)का अचार क्या आपको टान्सिल(Tonsils)हुआ है मन्त्र जप के लिए माला का संस्कार कैसे करे मन्त्र(Mantra)साधना के लिए नियम क्या हैं मन्त्र(Mantra)जप में सफलता क्यों नहीं मिलती है सच्चे प्यार(True Love)का पता कैसे लगाएं लक्षण जानकार समझे कि आपको प्रेम(Love)हुआ है किडनी(Kidney)के रोगो के नैसर्गिक(Natural)उपचार करे... फोड़े-फुंसी-सूजन-कांख का फोड़े(Boils-Pimple-Swelling... एक दिन में कितनी चीनी(Sugar)लेना चाहिये सुरण कंद यानि जिमीकंद(Jimikand)बहुउपयोगी क्यों है कमर दर्द-पीठ दर्द-सायटिका व घुटनो के दर्द केे लिए ... बच्चों का देरी से बोलना या तुतलाहट(Stutter)पर अनुभ... मुहाँसे के लिए एक हर्बल फेसबार(Herbal facebar)बनाय... चूहा(Rat)मारना नहीं चाहते है तो फिर ये उपाय करें क्या आप दुबलेपन(Debility)से परेसान है तो वजन बढ़ाये... आयुर्वेदिक से शारीरिक दुर्बलता(Physical weakness)द... प्राकृतिक साबुन(Natural Soap)आप घर पर भी बना सकते ... बड़बड़ाना(Murmur)या अपने आप से बातें करना आयुर्वेद(Ayurved)आप कैसे अपनायें सफ़ेद दाग(Leukoderma)नाशक लेप ल्यूकोडर्मा(Leukoderma)पर लगाने व खाने की दवा महिलायें प्राइवेट पार्ट(Private Parts)की सफाई कैसे... Upcharऔर प्रयोग वेबसाईट की जानकारी कैसे लें सफेद दाग-ल्यूकोडर्मा(Leukoderma)की बैच फ्लावर चिकि... ल्यूकोडर्मा(Leukoderma)का होम्योपैथी इलाज ल्यूकोडर्मा(Leukoderma)का आयुर्वेदिक उपचार ल्यूकोडर्मा(Leukoderma)होने पर आहार और योग ल्यूकोडर्मा(Leukoderma)होने के कारण और लक्षण ल्यूकोडर्मा(Leukoderma)या विटिलिगो क्या है बेबी फूड रेसिपी बाजार से उत्तम और स्वादिष्ट बनायें... पायरिया रोग क्या है बनायें एक बेहतरीन मंजन प्राकृतिक चिकित्सा(Natural Healing)के लिए तैयार है... दर्द(Pain)से निजात पाने का एक सरल उपाय साइटिका(Sciatica)का दर्द और उपचार मन में एड्स का डर बैठ जाना सरदर्द(Headache)से राहत के लिए घरेलू उपाय पेप्टिक अल्सर(Peptic Ulcers)का होम्योपैथी इलाज एलर्जी की महाऔषधि तुलसी मिर्गी(Epilepsia)का दौरा क्या है सावधानी और उपचार ► June (68) ► May (124) ► April (57) ► March (37) ► February (32) ► January (46) ► 2016 (332) ► 2015 (200) ► 2014 (41) Power by ThemeXpose | Created By Dr.Chetna Kanchan Bhagat 
No comments:
Post a Comment