Toggle navigation गीता भक्त साहित्य संगीत/कला तीर्थ/यात्रा हिन्दी टाइपिंग  खोज संपर्क करें गर्ग संहिता यह 'गर्ग संहिता' से सम्बन्धित लेख है। सम्पूर्ण गर्ग संहिता पढ़ने के लिए यहाँ क्लिक करें। गर्ग संहिता  कवि मुनि गर्ग मूल शीर्षक गर्ग संहिता मुख्य पात्र श्रीकृष्ण और राधा प्रकाशक गीताप्रेस गोरखपुर प्रकाशन तिथि 23 अप्रैल, 2005 ISBN 81-293-0151-2 देश भारत भाषा हिंदी प्रकार ग्रंथ मुखपृष्ठ रचना सजिल्द विशेष इस संहिता में मधुर श्रीकृष्णलीला परिपूर्ण है। इसमें राधाजी की माधुर्य-भाव वाली लीलाओं का वर्णन है। गर्ग संहिता यदुवंशियों के आचार्य गर्ग मुनि की रचना है। इस संहिता में मधुर श्रीकृष्णलीला परिपूर्ण है। इसमें राधाजी की माधुर्य-भाव वाली लीलाओं का वर्णन है। श्रीमद्भगवद्गीता में जो कुछ सूत्ररूप से कहा गया है, गर्ग-संहिता में उसी का बखान किया गया है। अतः यह भागवतोक्त श्रीकृष्णलीला का महाभाष्य है। भगवान श्रीकृष्ण की पूर्णाता के संबंध में गर्ग ऋषि ने कहा है: यस्मिन सर्वाणि तेजांसि विलीयन्ते स्वतेजसि। त वेदान्त परे साक्षात् परिपूर्णं स्वयम्॥ जबकि श्रीमद्भागवत में इस संबंध में महर्षि व्यास ने मात्र 'कृष्णस्तु भगवान् स्वयम्'- इतना ही कहा है। श्रीकृष्ण की मधुरली की रचना हुई दिव्य रस के द्वारा उस रस का रास में प्रकाश हुआ है। श्रीमद्भागवत् में उस रास के केवल एक बार का वर्णन पाँच अध्यायों में किया गया है; जबकि इस गर्ग-संहिता में वृन्दावन में, अश्व खण्ड के प्रभाव सम्मिलन के समय और उसी अश्वमेध खण्ड के दिग्विजय के अनन्तर लौटते समय तीन बार कई अध्यायों में बड़ा सुन्दर वर्णन है। इसके माधुर्य ख्ण्ड में विभिन्न गोपियों के पूर्वजन्मों का बड़ा ही सुन्दर वर्णन है और भी बहुत-सी नयी कथाएँ हैं। यह संहिता भक्तों के लिये परम समादर की वस्तु है; क्योंकि इसमें श्रीमद्भागवत के गूढ़ तत्त्वों का स्प्ष्ट रूप में उल्लेख है।[1] संहिता शास्त्र ज्योतिष शास्त्र के 6 भागों पर गर्ग संहिता नाम से ऋषि गर्ग ने एक संहिता शास्त्र की रचना की। संहिता ज्योतिष पर लिखे गये प्राचीन शास्त्रों में नारद संहिता, गर्ग संहिता, भृगु संहिता, अरून संहिता, रावण संहिता, वाराही संहिता आदि प्रमुख संहिता शास्त्र है। गर्ग ऋषि को यादवों का कुल पुरोहित भी माना जाता है। इन्हीं की पुत्री देवी गार्गी के नाम से प्रसिद्ध हुई है। भारत में ज्योतिष को वेदों का एक प्रमुख अंग माना गया है। वैदिक ज्योतिष की नींव माने जाने वाले 18 ऋषियों में गर्ग ऋषि का योगदान भी सराहनीय रहा है। प्राचीन काल से ज्योतिष पर विशेष अध्ययन हुआ। ज्योतिष ऋषियों के श्री मुख से निकल कर, आज वर्तमान काल में अध्ययन कक्षाओं तक पहुंचा है। गर्ग संहिता न केवल ज्योतिष पर आधारित शास्त्र है, बल्कि इसमें भगवान श्रीकृष्ण की लीलाओं का भी वर्णन किया गया है। यह एक प्रसिद्ध ज्योतिष ग्रन्थ है। इस ग्रन्थ को ज्योतिष के क्षेत्र में रिसर्च के लिए प्रयोग किया जाता है। गर्ग संहिता में श्रीकृष्ण चरित्र का विस्तार से निरुपण किया गया है। इस ग्रन्थ में तो यहाँ तक कहा गया है, कि भगवान श्री कृष्ण और राधा का विवाह हुआ था। गर्ग संहिता में ज्योतिष शरीर के अंगों की संरचना के आधार पर ज्योतिष फल विवेचन किया गया है।[2] टीका टिप्पणी और संदर्भ ऊपर जायें ↑ श्रीगर्ग-संहिता (हिंदी) भारतीय साहित्य संग्रह। अभिगमन तिथि: 24 सितम्बर, 2013। ऊपर जायें ↑ सनातन संस्कृति, धर्म: एवं ज्ञान- ॐ (हिंदी) फ़ेसबुक। अभिगमन तिथि: 24 सितम्बर, 2013। संबंधित लेख [छिपाएँ]कृष्ण सम्बंधित लेख कृष्ण · कृष्ण के इतिहास में प्रमाण 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