Friday, 18 August 2017
विधि और नियम के बंधन में बंधे बिना करें मंत्र जाप, राम जी करेंगे बेड़ा पार
नाम जप बुद्धि से राम जप करना भी अतिश्रेष्ठ एवं परम कल्याणकारी है। राम नाम आनन्दोल्लासवद्र्धक जन सुखकारी है। कहत सुनत सब कर हित होई। अपार राम नाम की महिमा है नाम जप चलते-फिरते, उठते-बैठते राम-राम कहा जा सकता है। द्वय अक्षर राम-जप किया जा सकता है। नाम बुद्धि जप में विधि की छूट है नियम की भी आवश्यकता नहीं। कर से करो काम मुख से बोलो राम। यहां तक राम जपने के लिए तुलसीदास जी ने वर्णन किया :
भाव कुभाव अनख आलस हूं।
नाम जपत मंगल दिसि दसहू॥
ईश्वराधन भगवदुपासना में मन की एकाग्रता तल्लीनता होना परमावश्यक है। अत: साधक शिव महिम्र: स्तोत्र जो सिद्धि स्तोत्र कहा जाता है, इस महिम्र: स्तोत्र का गान करें अथवा श्रीराम रक्षा स्तोत्र या तुलसी कृत रुद्राष्टक स्तोत्र की पाठ गान स्तुति करें। उपासना में स्तोत्र पाठ का अत्यधिक महत्व दिया गया है। अत: साधक भगवान के मंत्र का जप अथवा भगवन्नाम के कीर्तन से भगवत स्तोत्र के आश्रय से सिद्धि प्राप्त कर सकता है।
श्रीराम का षडक्षर मंत्र अति लाभकारी है। षडक्षर राम मंत्र ‘राम रामाय नम:’ है जिसे चिन्तामणि भी कहा जा सकता है, किसी भी कामना को पूर्ण करने के लिए इस राम मंत्र का साधक को, उपासक को अनुष्ठान करना चाहिए। इस मंत्र के ब्रह्मा ऋषि हैं, गायत्री छंद है श्रीरामदेवता है रां बीज और नम: शक्ति है। विधिवत न्यास ध्यानार्चन करते हुए साधक को राममंत्रोनुष्ठान करना चाहिए। पूरा अनुष्ठान छह लाख जप का होता है। यह परम कल्याणकारी श्रीराम का महामंत्र है। इसकी अपार महिमा है, इससे अनेक लाभ हैं। परमोपयोगी अति विशिष्ट मंत्र है। अनुष्ठान विधिवत शास्त्रोक्त रीति से निष्ठापूर्वक करना चाहिए। मन एकाग्र करने हेतु अभ्यास करे।
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