▼ शुक्रवार, 30 जुलाई 2010 वेद पुराण में सप्त संख्या का महत्त्व  सप्तद्वीप जम्बूद्वीप प्लक्षद्वीप शाल्मलद्वीप कुशद्वीप क्रौंचद्वीप शाकद्वीप पुष्करद्वीप सप्त पुरियां अयोध्या मथुरा माया (हरिद्वार) काशी कांची अवंतिका (उज्जयिनी) द्वारका सप्त सागर क्षीर सागर दुधी सागर घृत सागर पायान सागर मधु सागर मदिरा सागर लहू सागर सप्त नदी गंगा गोदावरी यमुना सिंधु सरस्वती कावेरी नर्मदा सप्त ऋषि केतु पुलह पुलस्त्य अत्रि अंगिरा वशिष्ट मारीचि सप्त दिवस सोमवार मंगलवार बुधवार गुरुवार शुक्रवार शनिवार रविवार सप्त ग्रह सूर्य चन्द्र मंगल बुध ब्रहस्पति शुक्र शनि सप्त पाताल अतल वितल नितल गभस्तिमान महातल सुतल पाताल सप्त छंद गायत्री वृहत्ती उष्टिक जगती त्रिष्टुप अनुष्टुप पंक्ति सप्त योग ज्ञान कर्म भक्ति ध्यान राज हठ सहज सप्त सुर सा रे गा मा पा धा नी सप्त भूत भूत प्रेत पिशाच कूष्माण्डा ब्रह्मराक्षस बेताल क्षेत्रपाल सप्त वायु प्रवह आवह उद्वह संवह विवह परिवह परावह सप्त लोक भूर्लोक भुवर्लोक स्वर्लोक महर्लोक जनलोक तपोलोक सत्यलोक (ब्रह्मलोक) सप्त पर्वत सुमेरु कैलाश मलय हिमालय उदयाचल हस्ताचल गन्धमादन Nilabh Verma at 10:48 am साझा करें कोई टिप्पणी नहीं: एक टिप्पणी भेजें ‹ › मुख्यपृष्ठ वेब वर्शन देखें मेरे बारे में  मेरा पूरा प्रोफ़ाइल देखें Blogger द्वारा संचालित.
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