Skip to main content  Rammangaldasji साईट में खोजें Search this site ३२१ ॥ श्री केशव भारती ॥ पद:- हम तो हर दम ही श्यामा श्यामै लखैं। केशव भारती बचन यह साँचे भखैं। हरि के नाम कि धुनि पै सूरति रखैं। क्या अनुपम अभी रस मन भर चखैं। नहिं परदा नेकहू दुइ का रखैं।५। जे सतगुरु से मारग ये नाहीं सिखैं। ते कर्मन को अपने नाहक झखैं। ज्ञान पढ़ि सुनि कहैं औ तन मन मखैं।८। ‹ ३२० ॥ श्री हरितीर्थ जी ॥ up ३२२ ॥ श्री आत्मा राम जी ॥ ›    About Us Your Suggestions Acknowledgements Premium Drupal Themes
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