Friday, 3 March 2017

गोत्र-एक विषय

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हिन्दी ब्लॉग – by RC Mishra

 

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गोत्र: क्या, क्यों एवं कैसे

December 18, 2006 Admin Uncategorized

ब्राह्मणों के विवाह में गौत्र-प्रवर का बड़ा महत्व है। पुराणों व स्मृति ग्रंथों में बताया गया है कि यदि कोई कन्या संगौत्र हो, किंतु सप्रवर न हो अथवा सप्रवर हो किंतु संगौत्र न हो, तो ऐसी कन्या के विवाह को अनुमति नहीं दी जाना चाहिए।

विश्वामित्र, जमदग्नि, भारद्वाज, गौतम, अत्रि, वशिष्ठ, कश्यप- इन सप्तऋषियों और आठवें ऋषि अगस्ति की संतान ‘गौत्र” कहलाती है। यानी जिस व्यक्ति का गौत्र भारद्वाज है, उसके पूर्वज ऋषि भारद्वाज थे और वह व्यक्ति इस ऋषि का वंशज है। आगे चलकर गौत्र का संबंध धार्मिक परंपरा से जुड़ गया और विवाह करते समय इसका उपयोग किया जाने लगा।

ऋषियों की संख्या लाख-करोड़ होने के कारण गौत्रों की संख्या भी लाख-करोड़ मानी जाती है, परंतु सामान्यत: आठ ऋषियों के नाम पर मूल आठ गौत्र ऋषि माने जाते हैं, जिनके वंश के पुरुषों के नाम पर अन्य गौत्र बनाए गए। ‘महाभारत” के शांतिपर्व (297/17-18) में मूल चार गौत्र बताए गए हैं- अंगिरा, कश्यप, वशिष्ठ और भृगु, जबकि जैन ग्रंथों में 7 गौत्रों का उल्लेख है- कश्यप, गौतम, वत्स्य, कुत्स, कौशिक, मंडव्य और वशिष्ठ। इनमें हर एक के अलग-अलग भेद बताए गए हैं- जैसे कौशिक-कौशिक कात्यायन, दर्भ कात्यायन, वल्कलिन, पाक्षिण, लोधाक्ष, लोहितायन (दिव्यावदन-331-12,14)  विवाह निश्चित करते समय गौत्र के साथ-साथ प्रवर का भी ख्याल रखना जरूरी है। प्रवर भी प्राचीन ऋषियों के नाम है तथापि अंतर यह है कि गौत्र का संबंध रक्त से है, जबकि प्रवर से आध्यात्मिक संबंध है। प्रवर की गणना गौत्रों के अंतर्गत की जाने से जाति से संगौत्र बहिर्विवाहकी धारणा प्रवरों के लिए भी लागू होने लगी।

 वर-वधू का एक वर्ष होते हुए भी उनके भिन्न-भिन्न गौत्र और प्रवर होना आवश्यक है (मनुस्मृति- 3/5)। मत्स्यपुराण (4/2) में ब्राह्मण के साथ संगौत्रीय शतरूपा के विवाह पर आश्चर्य और खेद प्रकट किया गया है। गौतमधर्म सूत्र (4/2) में भी असमान प्रवर विवाह का निर्देश दिया गया है। (असमान प्रवरैर्विगत) आपस्तम्ब धर्मसूत्र कहता है- ‘संगौत्राय दुहितरेव प्रयच्छेत्” (समान गौत्र के पुरुष को कन्या नहीं देना चाहिए)।

मेरा गोत्र गौतम है  ।

साभार

एम एस एन भारत

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26 comments

Amit

December 18, 2006 at 3:54 am

मिश्र जी गोत्र इत्यादि का गंभीर अध्ययन कर रहे हैं, हम समझ रहे हैं… हम सही समझ रहे हैं ना?

Reply

Udan Tashtari

December 18, 2006 at 5:43 am

वैसे शादी के दिन जब नजदीक आते हैं, तब इस तरह के ज्ञानचक्षु खुद ब खुद खुल जाते हैं. अमित जी सही ही समझ रहे हैं, क्यूँ पंडित जी?

Reply

Pratik

December 18, 2006 at 11:53 am

वो तो सब ठीक है, लेकिन मुहूर्त कब का निकला? 

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Raag

December 18, 2006 at 9:08 pm

लड़का लड़की एक दूसरे को पसंद हों तो शादी कर देनी चाहिए चाहे कुछ भी हो।

Reply

पंडित

May 3, 2016 at 2:10 pm

Raagजी गौत्र से फर्क पड़ता है अपने मुसलमानों में अंपग बच्चे ज्यादा देखें होगे हिन्दू की तुलना में यही है गौत्र का फरक

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MAN KI BAAT

December 19, 2006 at 3:04 pm

बहुत बढ़िया लेख! विशेषकर नयी पीढ़ी के द्वारा!बधाई।
भारद्वाज ऋषि निःसंतान थे, उनके शिष्यों से ही उनका वंश चला,शिष्य ही उनके गोत्र से जाने जाते हैं इसलिए भारद्वाजों में गोत्र बिना मिलाए अर्थात आपस में विवाह शास्त्र-संमत माना गया है।

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संजीत त्रिपाठी

February 16, 2007 at 11:16 am

अच्छी जानकारी दी आपने

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Shrish

March 9, 2007 at 5:59 pm

हाँ तो काफी दिन बीत गए, कुछ बात बनी या नहीं। 

लेख अच्छा और ज्ञानवर्धक था। डिलीशियस पर टैग कर लिया है।

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RC Mishra

March 9, 2007 at 6:20 pm

बिलकुल, बनेगी अपनी बात,
भगवान के घर देर है अन्धेर नहीं 

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pawan lalchand

July 3, 2007 at 5:57 pm

panditji kyon yahan anterjal pr bhi ye gotra aur jati ki deewar khadi karne pr tule hai. samaj ko aage badne bhi deejiye na..

Reply

RC Mishra

July 3, 2007 at 6:02 pm

पवन लालचन्द जी, 
आपका मतलब ये लेख दीवारें खड़ी कर रहा है, और हम इस पर तुले हुए हैं। मुझे दुःख है, कि आपने ऐसा विचार किया और खुशी है कि आपके पहले किसी और का न मेरा ही ध्यान इस तरफ़ गया।
अपने चिचार रखने के लिये शुक्रिया।

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ravish

July 3, 2007 at 8:25 pm

मिश्रा जी
पढ़ा। कुछ सवाल है। गोत्र आठ हैं। महाभारत में मूल गोत्र चार हैं। जैन धर्म में ७ हैं। फिर आप लिख रहे हैं कि गोत्र लाखों करोड़ों हैं। यानी गोत्र स्थायी नहीं हैँ। समय समय पर लोग अपना गोत्र चलाते होंगे न। नहीं तो यह संख्या इतनी कैसे हो गई। क्या कोई नया व्यक्ति अपना गोत्र चला सकता है? लाखो करोडों गोत्र फर्जी हैं या उनके बारे में महाभारत या जैन धर्म में ज़िक्र क्यों नहीं हैं? मूल गोत्र क्या होता है? बाकी गोत्र क्या होते हैं? यह फर्क क्यों हैं?

इसीलिए मैं कहता हूं अंतिम फैसला मत दीजिए। कुछ आप भी तलाश कीजिए कुछ हम भी करते हैं।

Reply

hem sharma pokharel

December 7, 2010 at 5:20 am

i liked your article. thamks a lot. please keep on the research !!

Hem
kathmandu

Reply

MUKESH KATARIA

December 27, 2010 at 9:51 am

PLEASE TELL BY POINT TO POINT

Reply

MUKESH SAHNI DUBAI EMIRATES

November 20, 2011 at 1:26 pm

R C MISHRA JI REGARDS, how i can come to know WHAT IS MY GOTRA, BECOZ I AM IN MIDDLE EAST SINCE 1978, SAY 34 YEARS , I DONT KNOW ANYTHING ABOUT GOTRA, CAN YOU PLZ HELP ME TO FIND MY GOTRA, MY LATE MUMMY AND BAAUJI FM CHAKWAL, AFTER PARTITION SATTLED IN DELHI, WE ARE SAHNI BY CAST, BAAUJI NAME WAS LALA LEKHRAM SAHNI S/O LATE SH AMIR CHAND SAHNI , MUMMY SHANTI DEVI SAHNI,D/O RAIJADA SITA RAM ANAND , MY BIRTH DELHI 06,08,1956 ,.TIME SHAM 6.15 PM , I MARRIED TO A HANDICAP DEAF AND DUMB MRS MADHU SAHNI FROM KOTA RAJASTHAN, pls quide and help regards

Reply

milan rawal

April 19, 2012 at 7:05 am

hamara gotra ko jankari digiya

Reply

Govind Nath Goswami

July 4, 2012 at 2:37 am

milan rawal ji tmare gotra k bare me shyad pandit ji nhi bta payenge//////
jagat guru bharma,bharma guru sanyas,sanyas guru avinash…

Reply

pawan bhatt

June 29, 2012 at 12:19 pm

radhe radhe

Reply

Rajesh Bhardwaj

July 22, 2012 at 6:17 am

My Rishi Gotra is YAMDAGNI, MOOL GOTRA IS KHIRAIBAAG
My surname is Bhardwaj.

Caste-Gaur Brahmin

Tell me About Gaur Brahmin

Reply

Santosh Bhardwaj

July 30, 2012 at 11:01 pm

I M Santosh Bhardwaj I Happy Because There Informaction Listion me by Explane This Software .
My Rishi Gotra Bhardwaj

Santosh Bhardwaj
DoB 05/04/1992

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Madhukar

August 21, 2012 at 5:39 am

Please try to give complete information, so as the misconceptions regarding gotra in marriage is reduced in society, rather making it more complicated. The gotra parampara in sanatana sect is based on very scientific & social stands. One has to be aware of the motive behind these rules laid down in our ancient authorities of religion. Apart from so many other reasons its main aim was to stop corruption & the genealogy. With such restrictions the several generic disorders were not passed on from one to another with correction of chromosomal disorders too, due to diversification in gene. One thing more has to be kept in mind that at that time the population too might be very low, and in order that people do not intermingle in close circle these restrictive rules were imposed. Now since a lot have changed and lots of diversification have taken place, this old rules needs to be non-restrictive. Even our sages very very far sighted and their vision have detected the modern day issues too. Therefore as per the quotes ie from Yagyavalk smriti 1/53, Vishnudharma sutra 24/10
Varah Grah Sutra 9, Shankhdharmassutra, Gautam 4/2, vashistha 8/2

They have quoted and are of the view that after 7 generations from father & 5 Generations from mothers side have no restrictions on marriage. This in general ease and makes the social restrictions more practical….

Reply

Anshul Sharma

September 19, 2012 at 8:39 am

I am proud because born in brahmin .

Reply

gaurav sharma

November 12, 2015 at 1:06 pm

Bhai apko pta hai nrwal and gotra maithil Brahmin ka hai kya

Reply

Rakesh sahni

March 8, 2014 at 10:41 pm

what’s NY gortra? Tell me?

Reply

bajarang

June 26, 2014 at 10:17 am

sing gotra ko aur kya kya gotra bolte hai pandit ji

Reply

gaurav sharma

November 12, 2015 at 1:03 pm

Pandit ji mera gotra “narwal” hai. Pandit ji kripya kr ke app mujhe ye Bta skte hai Kya “narwal” gotra maithil Brahmin Mai ata hai.
Mujhe is baat ki jankri ati avshykta hai…Plz pandit ji Meri id pe mail kijiye….

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