Thursday, 13 July 2017

्रगुरु मंत्र

MENU  खोजें ...  हिंदी प्रश्न पूछें Spiritual Science Research Foundation Homeसाधनामंत्रगुरु मंत्र अथवा देवता का नाम जप विषय सूची [छिपाएं] मेरे गुरु ने मुझे गुरु मंत्र दिया है । ऐसे में, क्या मुझे अपने धर्म अनुसार देवता का नाम जप करना चाहिए ? १. गुरु मंत्र की व्याख्या २. गुरु मंत्र का आध्यात्मिक सामर्थ्य ३. मेरे गुरु ने मुझे गुरु मंत्र दिया है । ऐसे में, क्या मुझे अपने धर्म अनुसार देवता का नाम जप करना चाहिए ? ४. गुरु मंत्र से संबंधित कुछ सूत्र मेरे गुरु ने मुझे गुरु मंत्र दिया है । ऐसे में, क्या मुझे अपने धर्म अनुसार देवता का नाम जप करना चाहिए ? १. गुरु मंत्र की व्याख्या गुरु मंत्र देवता का नाम, मंत्र, अंक अथवा शब्द होता है जो गुरु अपने शिष्य को जप करने हेतु देते हैं । गुरु मंत्र के फलस्वरूप शिष्य अपनी आध्यात्मिक उन्नति करता है और अंतत: मोक्ष प्राप्ति करता है । वैसे गुरु मंत्र में जिस देवता का नाम होता है, वही विशेष रूप से उस शिष्य की आध्यात्मिक प्रगति के लिए आवश्यक होते हैं । मोक्ष प्राप्ति, एक व्यक्ति के जीवन की सर्वोच्च आध्यात्मिक अनुभूति होती है, उसे र्इश्वर के साथ एकरूप हो जाने का अनुभव होता है; निरंतर आनंद की अनुभूति होती है । शिष्य ऐसा साधक होता है, जिसका आध्यात्मिक स्तर ५५ % हो । इसका अर्थ है, शिष्य वह है जो साधना के लिए अपने तन, मन, धन का त्याग ५५ % से अधिक करता हो, और आध्यात्मिक उन्नति हेतु उसमें तीव्र लगन हो । संदर्भ हेतु देखें लेख : साधना के छ: मूलभूत सिद्धांत २. गुरु मंत्र का आध्यात्मिक सामर्थ्य गुरु मंत्र की परिणामकारकता, मंत्र देनेवाले व्यक्ति के आध्यात्मिक स्तर पर निर्भर करती है । गुरु मंत्र की आध्यात्मिक शक्ति मंत्र देनेवाले का आध्यात्मिक स्तर (प्रतिशत)मंत्र में विद्यमान चैतन्य शक्ति की मात्रा (प्रतिशत) ५० प्रतिशत२ प्रतिशत ६० प्रतिशत१० प्रतिशत ७० प्रतिशत८० प्रतिशत ८० प्रतिशत९० प्रतिशत ९० प्रतिशत१०० प्रतिशत १०० प्रतिशत१०० प्रतिशत उपरोक्त सारणी से ज्ञात होता है कि गुरु मंत्र में वास्तिवक आध्यात्मिक सामर्थ्य तभी होता है जब वह मंत्र ७० प्रतिशत से अधिक आध्यात्मिक स्तर के गुरु अथवा संत ने प्रदान किया हो । प्राय: अज्ञानतावश लोग उन व्यक्तियों से मार्गदर्शन लेते हैं, जो संत नहीं होते । यह सर्वदा अयोग्य हो, यह आवश्यक नहीं । साधारणत: ऐसा पाया गया है कि व्यक्ति अपने से २० प्रतिशत अधिक आध्यात्मिक स्तर के व्यक्ति का मार्गदर्शन समझ कर उसके अनुसार आचरण कर सकता है, उदाहरणार्थ; यदि किसी का आध्यात्मिक स्तर ५० प्रतिशत है, तो वह ३० प्रतिशत आध्यात्मिक स्तरके व्यक्ति का मार्गदर्शन कर सकता है । यदि कोर्इ व्यक्ति अपनी साधना के प्रति जागरूक हो और उसमें आध्यात्मिक प्रगति करने की तीव्र उत्कंठा हो, तो अप्रकट गुरुतत्त्व अथवा मार्गदर्शक तत्त्व उसके जीवन में उसकी प्रगति हेतु उचित अवसर (गुरु के संदर्भ में) निर्माण करता है । ३. मेरे गुरु ने मुझे गुरु मंत्र दिया है । ऐसे में, क्या मुझे अपने धर्म अनुसार देवता का नाम जप करना चाहिए ? इसका उत्तर गुरु मंत्र किन परिस्थितियों में दिया गया है, उस पर निर्भर करता है । १. मंत्र देनेवाले व्यक्ति का आध्यात्मिक स्तर ७० प्रतिशत से अधिक हो और शिष्य का आध्यात्मिक स्तर ५५ प्रतिशत हो । ऐसे में गुरु मंत्र का जाप करना ही उचित है । गुरु मंत्र का आध्यात्मिक सामर्थ्य गुरु के संकल्प में होता है, जो मंत्र प्राप्त करनेवाले को दिया जाता है । २. मंत्र देनेवाले व्यक्ति का आध्यात्मिक स्तर ७० प्रतिशत से अल्प हो, और मंत्र प्राप्त करनेवाले व्यक्ति का स्तर ३० प्रतिशत अथवा ४० प्रतिशत हो । ऐसी परिस्थिति में यह उचित होगा कि व्यक्ति की श्रद्धा जिस पर अधिक हो, गुरु मंत्र अथवा अपने जन्मानुसार जो धर्म है, उसी धर्म के देवता का नामजप किया जाए । ५० प्रतिशत आध्यात्मिक स्तर के व्यक्ति द्वारा दिए गुरु मंत्र का जाप करने का लाभ यह है कि जाप करनेवाला व्यक्ति किसी और की बात पर ध्यान देने का प्रयास करता है । इससे व्यक्ति को अपनी इच्छा के अनुसार (स्वेच्छा) व्यवहार न करते हुए, दूसरों की इच्छा के अनुसार (परेच्छा से) व्यवहार करना सीखता है । जब कोर्इ परेच्छा से आचरण करता है, तो उसका अहं कम होता है । यदि व्यक्ति श्रद्धापूर्वक गुरुमंत्रका जप करे और उसमें र्इश्वरप्राप्ति की तीव्र लगन हो, तो अप्रकट गुरुतत्त्व अथवा र्इश्वरका गुरुरूप स्वयं पृथ्वी के वास्तिवक गुरु को उसके जीवन में लाते हैं । संदर्भ हेतु देखें लेख : स्वेच्छा, परेच्छा एवं र्इश्वरेच्छा ४. गुरु मंत्र से संबंधित कुछ सूत्र कभी-कभी संत किसी व्यक्ति को जप प्रदान करते हैं, जिससे उस व्यक्ति के जीवन में आनेवाली आध्यात्मिक स्वरूप की बाधाएं तथा दूर हो जाएं । इससे आध्यात्मिक संकटों का भी निवारण होता है । कभी-कभी लोग इसी जप को गुरु मंत्र समझने की भूल करते हैं । यह ध्यान में रखें कि गुरु मंत्र केवल आध्यात्मिक उन्नति के लिए होता है, जिससे मोक्ष प्राप्ति भी होती है । कुछ लोग गुरु से निरंतर ही गुरु मंत्र की मांग करते रहते हैं । ऐसे भक्तों को गुरु, मंत्र दे देते हैं ! इन भक्तों को यह ध्यान रखना चाहिए कि जबतक उनमें मोक्ष प्राप्ति की तीव्र उत्कंठा न हो, एवं उनका त्याग ५५ प्रतिशत आध्यात्मिक स्तर के व्यक्ति (साधक) समान नहीं हो जाता, वह दिया गया मंत्र केवल नाम मात्र के लिए ही गुरु मंत्र होता है । उसी प्रकार पैसे देकर जो गुरु मंत्र लिया जाता है, वह भी नाम मात्र का ही गुरु मंत्र होता है । यदि किसी व्यक्ति (अथवा साधक) को गुरु गुरु मंत्र देते हैं, तब भी उस व्यक्ति को गुरु मंत्र जप के साथ आध्यात्मिक प्रगति के लिए सत्सेवा, त्याग तथा सभी से निरपेक्ष प्रेम (प्रीति) करना चाहिए ।  आध्यात्मिक शोधका संचालन कैसे किया जाता है ? एस.एस.आर.एफ उपक्रम हमारे स्काइप सत्संगमें सम्मिलित हों क्या आपने एस.एस.आर.एफ. के मूलतत्व पढे हैं ?  स्वभावदोष निर्मूलन प्रक्रिया तथा इसका महत्व  अन्य भाषाओंमें उपलब्ध लेख English Hrvatski Français Español Deutsch Srpski Indonesian Nederlands Македонски सम्बंधित लेख गुरु का महत्व क्या है ? एक आध्यात्मिक परिप्रेक्ष्य ब्रह्मांड में ‘संकल्प शक्ति’ की प्रक्रिया मंत्र क्या है ? ऊपर Q आप हमसे प्रश्न पूछिए आैर SSRF के साधकाें से २ दिनाें में उत्तर प्राप्त कीजिए । Copyright © Spiritual Science Research Foundation Inc. 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