☰   HOME PUNJAB ELECTION 2017 UP ELECTION 2017 DELHI PUNJAB HARYANA HIMACHAL PRADESH CHANDIGARH श्री रामानुजाचार्य: गुरु की व्याख्या में भी दोष निकालने वाले Friday, December 18, 2015  श्री रामानुजाचार्य के पिता का नाम केशव भट्ट था। वह दक्षिण तेरुंकुदूर क्षेत्र में रहते थे। जब श्री रामानुजाचार्य की अवस्था बहुत छोटी थी, तभी इनके पिता का देहावसान हो गया। इन्होंने काञ्ची में यादव प्रकाश नामक गुरु से वेदाध्ययन किया। इनकी बुद्धि इतनी कुशाग्र थी कि यह अपने गुरु की व्याख्या में भी दोष निकाल दिया करते थे। फलत: इनके गुरु ने इन पर प्रसन्न होने के बदले ईर्ष्यालु होकर इनकी हत्या की योजना बना डाली, किन्तु भगवान् की कृपा से एक शिकारी और उसकी पत्नी ने इनके प्राणों की रक्षा की। श्री रामानुजाचार्य बड़े ही विद्वान, सदाचारी, धैर्यवान और उदार थे। चरित्रबल और भक्ति में तो वह अद्वितीय थे। इन्हें योग सिद्धियां भी प्राप्त थीं। यह श्री यामुनाचार्य की शिष्य परम्परा में थे। जब श्री यामुनाचार्य की मृत्यु सन्निकट थी, तब उन्होंने अपने शिष्य के द्वारा श्री रामानुजाचार्य को अपने पास बुलवाया, किन्तु इनके पहुंचने से पूर्व ही श्री यामुनाचार्य की मृत्यु हो गई। वहां पहुंचने पर श्री रामानुजाचार्य ने देखा कि श्री यामुनाचार्य की तीन अंगुलियां मुड़ी हुई थीं। श्री रामानुजाचार्य ने समझ लिया कि श्री यामुनाचार्य इनके माध्यम से ‘ब्रह्मसूत्र’, ‘विष्णुसहस्रनाम’ और अलवन्दारों के ‘दिव्य प्रबंधम’ की टीका करवाना चाहते हैं। श्री रामानुजाचार्य ने श्री यामुनाचार्य के मृत शरीर को प्रणाम किया और कहा, ‘‘भगवन्! मैं आपकी इस अंतिम इच्छा को अवश्य पूरा करूंगा।’’ श्री रामानुजाचार्य गृहस्थ थे, परन्तु जब इन्होंने देखा कि गृहस्थी में रह कर अपने उद्देश्य को पूरा करना कठिन है, तब इन्होंने गृहस्थ आश्रम को त्याग दिया और श्री रंगम् जाकर यतिराज नामक संन्यासी से संन्यास धर्म की दीक्षा ले ली। इनके गुरु श्री यादव प्रकाश को अपनी पूर्व करनी पर बड़ा पश्चाताप हुआ इसलिए वह भी संन्यास की दीक्षा लेकर श्री रंगम् चले आए और श्री रामानुजाचार्य की सेवा में रहने लगे। श्री रामानुजाचार्य ने भक्ति मार्ग का प्रचार करने के लिए सम्पूर्ण भारत की यात्रा की। इन्होंने भक्ति मार्ग के समर्थन में गीता और ब्रह्मसूत्र पर भाष्य लिखा। वेदांत सूत्रों पर इनका भाष्य श्रीभाष्य के नाम से प्रसिद्ध है। इनके द्वारा चलाए गए सम्प्रदाय का नाम भी श्रीसम्प्रदाय है। इस सम्प्रदाय की आद्यप्रवर्तिका श्री महालक्ष्मी जी मानी जाती हैं। श्री रामानुजाचार्य ने देशभर में भ्रमण करके लाखों नर-नारियों को भक्ति मार्ग में प्रवृत्त किया। इनके चौहत्तर शिष्य थे। इन्होंने महात्मा पिल्ललोकाचार्य को अपना उत्तराधिकारी बनाकर एक सौ बीस वर्ष की अवस्था में इस संसार से प्रयाण किया। श्री रामानुजाचार्य के सिद्धांत के अनुसार भगवान् विष्णु ही पुरुषोत्तम हैं और वे ही प्रत्येक शरीर में साक्षी रूप से विद्यमान हैं। भगवान नारायण ही सत् हैं, उनकी शक्ति महालक्ष्मी चित हैं और यह जगत उनके आनंद का विलास है। भगवान् श्रीलक्ष्मीनारायण इस जगत के माता-पिता हैं और सभी जीव उनकी संतान हैं।  FOR ANY QUERY support@punjabkesari.in FOR ADVERTISEMENT QUERY advt@punjabkesari.in TOLL FREE : 1800 137 6200 Home|Privacy Policy|Live Help © 2016 Punjab Kesari, All Rights Reserved
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