Wednesday, 12 July 2017

राम चरण गुरु

मुख्य मेनू खोलें  खोजें संपादित करेंइस पृष्ठ का ध्यान रखेंकिसी अन्य भाषा में पढ़ें राम चरण (गुरु) गुरु राम चरण या रामचरण जी महाराज अठारहवीं सदी के आरम्भ में राजस्थान के जयपुर में उत्पन्न के एक संत थे। इन्होने रामसनेही संप्रदाय की स्थापना की। ये निर्गुण भक्ति शाखा के संत थे।[1][2] राम चरण चित्र:SwamiRamCharan.jpg संस्कृत राम चरण धर्म हिन्दू धर्म व्यक्तिगत विशिष्ठियाँ राष्ट्रीयता भारतीय जन्म राम किशन माघ शुक्ल चतुर्दशी, 1776 विक्रम संवत ( फरवरी 24, 1720 A.D.) सोडा गाँव, टोंक जिला, मेवाड़, भारत निधन वैशाख कृष्ण पञ्चमी 1855 विक्रम संवत ( 1799 A.D.) शाहपुरा, भील वाड़ा, राजस्थान शांतचित्त स्थान शाहपुरा, भील वाड़ा, राजस्थान 25.620253 N,74.92153 E पद तैनाती उपदि Founder-acharya of the Ramdwara, H.Q. Shahpura पूर्वाधिकारी कृपा राम धार्मिक जीवनकाल पद गुरु, सन्यासी, आचार्य वेबसाइट [1] जीवन संपादित करें रामचरण जी का जन्म माघ शुक्ला 14 शनिवार संवत् 1776 (1719 ई॰) को अपने ननिहाल सोडा नामक ग्राम में हुआ। यह स्थान जयपुर जिले के मालपुरा नामक नगर के समीप है। आपके पिताजी का नाम बख्तराम जी तथा माताजी का नाम देउजी था। ये मालपुरा के समीप बनवाडा नामक ग्राम के रहने वाले थे। इनकी जाति विजयवर्गीय वैष्य गौत्र कापडी थी। स्वामी जी का बचपन का नाम रामकिशन था। विनतीरामजी द्वारा लिखित जीवन चरित्र पुस्तक में इनके विवाह का उल्लेख किया है। आपका विवाह चांदसेन नामक ग्राम में, एक सम्पन्न परिवार में गिरधारीलाल खूंटेटा की कन्या गुलाब कंवर बाई के साथ हुआ। इस अवधि के आपके एक पुत्री का जन्म हुआ जिनका नाम जडाव कंवर था। केवल श्री जगन्नाथ जी कृत गुरू लीला विलास में इसका उल्लेख मिलता है। इन्होने ने जयपुर राज्य के अन्तर्गत किसी उच्च पद पर निष्ठा पूर्वक राजकीय सेवा की। कुछ अन्य लेखकों एवं श्री लालदास जी की परची के अनुसार उन्होंने जयपुर राज्य के दीवान पद पर काम किया। उनके पिता के मोसर के अवसर पर राज्य की ओर से टीका पगडी का दस्तूर आना इस बात का स्पष्ट प्रमाण है कि वे किसी सम्मानित पद पर आसीन थे। इनके गुरु कृपाराम जी महाराज थे जिन्होंने इन्हें राम भक्ति की शिक्षा दी। सं. 1817 में ये भीलवाडा गये और वहीं अपनी अणभैवाणी की रचना की। इनके निवास हेतु वि. सं. 1822 में देवकरण जी तोषनीवाल ने रामद्वारा का निर्माण कराया गया। स्वामीजी रामचरण जी महाराज वैषाख कृष्ण पंचमी गुरूवार सं. 1855 को शाहपुरा में ही ब्रहम्लीन हुए। सन्दर्भ संपादित करें ↑ तोन्गारिया, राहुल. "राजस्थानी संस्कृति में दादू एवं रामस्नेही सम्प्रदाय का योगदान". http://www.ignca.nic.in/coilnet/rj082.htm. अभिगमन तिथि: 18 अगस्त 2015. ↑ "रामस्नेही संप्रदाय के प्रवर्तक रामचरण महाप्रभु". दैनिक भास्कर. http://www.bhaskar.com/news/RAJ-OTH-1805987-2829735.html. अभिगमन तिथि: 18 अगस्त 2015. बाहरी कड़ियाँ संपादित करें रामस्नेही सम्प्रदाय की वेबसाइट Last edited 5 months ago by Sanjeev bot RELATED PAGES नामदेव रामसनेही सम्प्रदाय स्वामी हितदास  सामग्री CC BY-SA 3.0 के अधीन है जब तक अलग से उल्लेख ना किया गया हो। गोपनीयताडेस्कटॉप

No comments:

Post a Comment