Thursday, 13 July 2017

तप

 Skyline. 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द्र. मन्वन्तर । tapomoorti/tapomuurti/ tapomurti तपोरति ब्रह्माण्ड ३.४.१.९२(पौलह, चौथे सावर्णि मन्वन्तर के सप्तर्षियों में से एक), मत्स्य ९.१७(तामस मनु के १० पुत्रों में से एक), विष्णु ३.२.३५(१२वें मन्वन्तर के सप्तर्षियों में से एक ) । तपोलोक भागवत २.५.३९(तपोलोक का विराट् पुरुष के स्तनद्वय में न्यास), वायु ७.३०/१.७.२५(देवों के जन लोक से आकर तपोलोक में स्थित होने व पश्चात् सत्य लोक को जाने के क्रम का कथन), २४.३(वही), ६१.१३२(तपोलोक के अनिवर्तनीय होने का उल्लेख ) । tapoloka तप्त गरुड २.७.१०२(संतप्तक ब्राह्मण के विष्वक्सेन गण बनने का वृत्तान्त), ब्रह्माण्ड ३.४.२.१४७(तप्तकुम्भ : नरकों में से एक), ३.४.२.१५६ (तप्तकुम्भ प्रापक कर्मों का कथन), विष्णु २.६.२.१५६(तप्त कुम्भ नरक प्रापक कर्मों का कथन), विष्णु २.६.२(नरकों में से एक), २.६.९(तप्तकुण्ड प्रापक कर्मों का उल्लेख), लक्ष्मीनारायण १.३७०.४७(नरक में तप्त कुण्ड प्रापक कर्मों का उल्लेख ) । तम गरुड ३.२४.९४(तमोभिमानी दुर्गा का उल्लेख), गर्ग ५.१८.१०(उद्धव के प्रति कृष्ण - प्रेम विह्वला तमोगुणवृत्तिरूपा गोपियों के उद्गार), नारद १.४२.२९(समुद्र के अन्त में तम व तम के अन्त में जल होने का उल्लेख), १.४४.५३(तम के लक्षण), ब्रह्म २.५२(तम नामक असुर द्वारा प्रमदा रूप धारण कर धन्वन्तरि नृप का तप भङ्ग करना), ब्रह्माण्ड ३.४.२.१५०(नरकों में से एक), ३.४.३.३३(जन्तु के तम से अभिभूत होने के परिणामों का कथन), ३.४.२४.७५(तिरस्करिणी देवी के वाहन तमोलिप्त विमान का उल्लेख), भविष्य ३.४.२५.२९(ब्रह्माण्ड तम से विभीषण की उत्पत्ति का उल्लेख), भागवत २.५.२३(द्रव्य, ज्ञान व क्रियात्मक तम की उत्पत्ति का कथन), ७.१.८(तम से यक्षों व राक्षसों की वृद्धि का उल्लेख), मत्स्य ४४.८३(तमोजा : असामञ्ज - पुत्र), लिङ्ग २.५.१३५(श्रीमती कन्या की प्राप्ति न होने पर नारद व पर्वत द्वारा अम्बरीष को तम से अभिभूत होने का शाप, विष्णु के सुदर्शन चक्र द्वारा अम्बरीष की तम से रक्षा का वृत्तान्त), वायु १०१.१४९(नरकों में एक तम का नामोल्लेख), १०१.१७९(भूमि के नीचे ७ नरकों में सप्तम तम नरक का उल्लेख), स्कन्द ४.२.७२.६०(तमोघ्नी देवी द्वारा कक्षान्तर की रक्षा), ५.३.१६०.५(मोक्ष तीर्थ में तमहा नदी के पतन से सङ्गम तीर्थ का निर्माण, तमहा के माहात्म्य का कथन), लक्ष्मीनारायण ४.२६.६०(ईश्वराणी - पति, हरिप्रिया - पति आदि की शरण से तम से मुक्ति का कथन ) ; द्र. दीर्घतमा । tama तमसा देवीभागवत ३.१०.१९(तमसा नदी तट पर देवदत्त द्वारा पुत्रेष्टि यज्ञ), ६.१८(तमसा - यमुना सङ्गम पर लक्ष्मी द्वारा अश्वा रूप में तप, हैहय पुत्र की प्राप्ति), ब्रह्माण्ड १.२.१३.३०(ऋक्षवान् पर्वत से प्रसूत नदियों में से एक), मत्स्य ११४.२५(ऋक्षवान् पर्वत से प्रसूत नदियों में से एक), वामन ५७.७५(तमसा द्वारा स्कन्द को अद्रिकम्पक नामक गण प्रदान करने का उल्लेख), वायु ४५.१००(ऋक्षवान् पर्वत से प्रसूत नदियों में से एक), विष्णुधर्मोत्तर ३.१२१.७ (तमसा तीर पर वाल्मीकि की पूजा का निर्देश), शिव १.१२.१३(तमसा नदी के द्वादशमुखा होने का उल्लेख), स्कन्द २.८.९.१९(तमसा नदी के तट पर माण्डव्यादि मुनियों के आश्रमों की स्थिति, तमसा में स्नान, दान तथा श्राद्धादि का महत्त्व), वा.रामायण १.२.३(नारद से रामचरित्र का श्रवण कर वाल्मीकि का स्नानार्थ तमसा नदी के तट पर गमन), २.४६(वन गमन के समय राम द्वारा तमसा नदी के तट पर विश्राम ) । tamasaa ​ ​

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