Wednesday, 23 August 2017

कर्मचोदना - गीता

Google+ Gmail Web Orkut more ↰ शब्द चर्चा  कर्मचोदना 9/8/10Satya Prakash श्रीमद भगवदगीता के १८ वाँ अध्याय के एक श्लोक से लिए एक शब्द पर चर्चा ज्ञानं ज्ञेयं परिज्ञाता त्रिविधा कर्मचोदना | करणं कर्म कर्तेति त्रिविध :कर्मसंग्रह:||१८ || अर्थ - कार्य का ज्ञान ,ज्ञान का विषय (ज्ञेय) और ज्ञाता --- ये तीन कर्म की प्रेरणा हैं तथा करण अथार्त इन्द्रियाँ ,क्रिया और कर्ता अथार्त प्रक्रति के तीनो गुण ---ये तीन कर्म के अंग हैं . श्रीमद भगवद्गीता के १८ वें अध्याय के इस श्लोक में जो शब्द कर्मचोदना आया है वो कर्म और चोदना से मिलकर बना है .चोदना शब्द संस्कृत के शब्कोष में देखा तो पता चला की 'चुद' इसका मूल धातु है . इस शब्द का सही अर्थ है अभिप्रेरणा .मेरे मन में एक जिज्ञासा आई कि आज के समाज में ' चोदना' शब्द का जो अर्थ है वो कहाँ से आया ? और गीता में इस शब्द के आगे कर्म लगा है जिसका अर्थ है कर्म की अभिप्रेरणा . 9/8/10अभय तिवारी बिलकुल सही है। चोदने का अर्थ प्रेरणा है.. गायत्री मंत्र में भी इसी अर्थ में आता है.. लेकिन चुद्‍ धातु के और भी अर्थ हैं- निर्देश देना, आगे फेंकना, हाँकना, धकेलना, ठेलना, स्फूर्ति देना, उकसाना, मार्ग प्रदर्शित करना, शीघ्रता करना, इसके अलावा पूछना और प्रस्तुत करना भी इसके अर्थ के रूप में आप्टे जी ने दिया है। गालियों में आने से पहले इसे प्रजनन के अर्थ में देखिये.. गर्भ धारण के लिए प्रेरित करना या बीज को आगे फेंकना, या धकेलना। गुप्त गतिविधियों के साथ हमेशा ऐसा हे होता है, एक पीढ़ी उसके लिए एक शालीन शब्द लेकर आती है ताकि कोई 'गन्दा' भाव मन में आने पाए लेकिन अगली पीढ़ी तक आते-आते वही शब्द गन्दगी का प्रतीक बन जाता है। 'चोदना' एक ऐसा शब्द है ही जो कभी ऐसा शास्त्रीय शब्द होता था कि जिसे गीता और गायत्री मंत्र में प्रयोग किया गया और दूसरा ऐसा शब्द 'टट्टी'.. जिसका मूल अर्थ बाँस की खपच्ची है। इन्ही खपच्चियों को, टट्टियों को अंग्रेज़ लोग गाँव-क़स्बों आदि में, जहाँ उनके लिए बनाए गए स्थायी शौचालय उपलब्ध नहीं थे, अपने मलत्याग करने हेतु बनाए गए अस्थायी कमोड के चारो ओर लगवाया करते थे। आज भी टट्टी का दूसरा अर्थ शेष है खस की टट्टी आदि जैसे प्रयोगों में। उसी टट्टी की आड़ मलत्याग के उस पूरे कर्म की आड़ बन कर विकसित हुई लेकिन अब एक गन्दा शब्द बन चुकी है। - show quoted text - 9/8/10Rangnath एक ताजा उदाहरण बाथरूम का भी लिया जा सकता है। जिसका अर्थ आज उत्तर भारत में पेशाब करना हो चुका है। - show quoted text - 9/8/10प्रीतीश बारहठ यह कर्म प्रधान होने का ही उदाहण है शब्द से कर्म प्रभावित नहीं हुआ है जबकि कर्म शब्द को गरिमा या निन्दा प्रदान करता है। वैसे उपरोक्त कर्म निन्दनीय तो नहीं हैं लेकिन कर्ता की निकृष्टता का आरोप उन कर्मों पर हुआ है। इसलिये क्या यह कहा जा सकता है कि कर्म प्रधान है पर कर्ता उससे भी प्रधान है ? 2010/9/8 Rangnath Singh - show quoted text - -- Pritish Barahath Jaipur 9/8/10अजित वडनेरकर इस कड़ी के कुछ शब्दों पर शब्दों का सफर में लिखा जा चुका है 1.टट्टी की ओट और धोखे की टट्टी 2.निकम्मों की लीद और खाद निर्माण 3.गोबरगणेश का चिंतन अर्थात गोबरवाद 4.पाखाना लगना, लैट्रिन आना, बाथरूम करना… 2010/9/8 Pritish Barahath - show quoted text - -- शुभकामनाओं सहित अजित http://shabdavali.blogspot.com/ 9/9/10batrohi Mere paas hindi font nahi hai, isliye roman lipi mei. Yah tulna rochak hai aur kai nayee jigyasayei jagane mei sahayak hogi. Baharhaal, is majedaar charcha ke liye dhanyavad. - Batrohi On 9/8/10, अजित वडनेरकर wrote: > इस कड़ी के कुछ शब्दों पर शब्दों का सफर में लिखा जा चुका है > 1.टट्टी की ओट और धोखे की > टट्टी > 2.निकम्मों की लीद और खाद > निर्माण > 3.गोबरगणेश का चिंतन अर्थात > गोबरवाद > 4.पाखाना लगना, लैट्रिन आना, बाथरूम > करना… - show quoted text - -- L. S Bisht, Batrohi Former Head of Hindi Dept and Dean, Faculty of Arts, Kumaon University, Director, Mahadevi Verma Srijan Peeth, Kumaon University,Ramgarh, Nainital. Ph# 05942-281283(O), 09412084322(M) 9/9/10Bodhisatva गांधी जी कर्मचोदना का अर्थ बताते हैं कर्म की प्रेरणा जहाँ प्रयास के साथ या सोद्देश्य कोई कर्म किया जा रहा हो....वहाँ कर्म के लिए था यह शब्द इसी तरह की दुर्घटना पेलना शब्द के साथ भी घटी है इसे भाषा विज्ञान में अर्थ से गिर जाना माना जाता है सुंदरकांड में आता है, पेलि पठावा बल पूर्वक भेंजा गया, प्रेरित करके भेंजा गया, प्रेरणा से पेलना बनता दिखता है लेकिन आगे यह शब्द भी गाली में बदल गया सुलभ शौचालय से जुड़ने के बाद यही अर्थ च्युतता सुलभ के साथ जुड़ी है, अब इलाहाबाद में सुलभ यानी शौच जैसा हो गया है। 2010/9/9 Laxman Bisht - show quoted text - -- Dr. Bodhisatva, mumbai 0-9820212573 12/7/11अजित वडनेरकर गीता वाले प्रसंग में कर्म "चोदना" संज्ञा है। सम्भोग के अर्थ में यह क्रिया है। 2010/9/9 Bodhi Sattva - show quoted text - --  अजित http://shabdavali.blogspot.com/ मोबाइल- औरंगाबाद- 07507777230 12/7/11Narayan Prasad आप्टे के संस्कृत-इंग्लिश कोश के संशोधित संस्करण के अनुसार - कर्मचोदना = (1) the motive impelling one to ritual acts. ज्ञानं ज्ञेयं परिज्ञाता त्रिविधा कर्मचोदना Bg.18.18 (2) any positive rule enjoining a religious act. --- नारायण प्रसाद 2011/12/7 अजित वडनेरकर गीता वाले प्रसंग में कर्म "चोदना" संज्ञा है। सम्भोग के अर्थ में यह क्रिया है। 12/7/11Satya Prakash वहाँ ये कर्म की अभिप्रेरणा बताता है अब आप ये प्रकाश डालें की ये शब्द कैसे संज्ञा से क्रिया बना 2011/12/7 अजित वडनेरकर - show quoted text - 12/8/11pankaj mishra bahut sunder. vakai aaj aanken khool gai. kai baar sanskrat me kai shabdon ko pahne par bure shabon ka aabhas hota hai, magar aaj pata chala ki vo log sahi the aaj unka roop badal gaya hai. 2011/12/7 Satya Mishra - show quoted text - -- Pankaj Mishra Patrika, Gwalior Mo- 8085215321 12/8/11Baljit Basi ऐसे शब्दों के अर्थ शालीन भी हो जाते हैं., संस्कृत में यभ् का मतलब मैथुन होता है परन्तु आज यह शब्द पंजाबी में आम ही बोला जाता है और इसका अर्थ होता है ज़हमत, असुविधा . 'यभ पड़ना' का मतलब होता है मुश्किल में पड़ना. मैथुन की क्रिया उल्टी सीधी होती है इस लिए इसका यह भाव विकसित हुआ. On 7 दिस., 13:31, pankaj mishra wrote: > bahut sunder. > vakai aaj aanken khool gai. > kai baar sanskrat me kai shabdon ko pahne par bure shabon ka aabhas hota > hai, magar aaj pata chala ki vo log sahi the aaj unka roop badal gaya hai. > > 2011/12/7 Satya Mishra > > > > > वहाँ ये कर्म की अभिप्रेरणा बताता है अब आप ये प्रकाश डालें की ये शब्द कैसे > > संज्ञा से क्रिया बना > > > 2011/12/7 अजित वडनेरकर > > >> गीता वाले प्रसंग में कर्म "चोदना" संज्ञा है। > >> सम्भोग के अर्थ में यह क्रिया है। > > >> 2010/9/9 Bodhi Sattva > > >>> गांधी जी कर्मचोदना का अर्थ बताते हैं > >>> कर्म की प्रेरणा > >>> जहाँ प्रयास के साथ या सोद्देश्य कोई कर्म किया जा रहा हो....वहाँ कर्म के > >>> लिए था यह शब्द > >>> इसी तरह की दुर्घटना पेलना शब्द के साथ भी घटी है > >>> इसे भाषा विज्ञान में अर्थ से गिर जाना माना जाता है > >>> सुंदरकांड में आता है, पेलि पठावा > >>> बल पूर्वक भेंजा गया, प्रेरित करके भेंजा गया, प्रेरणा से पेलना बनता दिखता > >>> है > >>> लेकिन आगे यह शब्द भी गाली में बदल गया > >>> सुलभ शौचालय से जुड़ने के बाद यही अर्थ च्युतता सुलभ के साथ जुड़ी है, अब > >>> इलाहाबाद में सुलभ यानी शौच जैसा हो गया है। > > >>> 2010/9/9 Laxman Bisht > > >>>> Mere paas hindi font nahi hai, isliye roman lipi mei. Yah tulna rochak > >>>> hai aur kai nayee jigyasayei jagane mei sahayak hogi. Baharhaal, is > >>>> majedaar charcha ke liye dhanyavad. - Batrohi > > >>>> On 9/8/10, अजित वडनेरकर wrote: > >>>> > इस कड़ी के कुछ शब्दों पर शब्दों का सफर में लिखा जा चुका है > >>>> > 1.टट्टी की ओट और धोखे की > >>>> > टट्टी > >>>> > 2.निकम्मों की लीद और खाद > >>>> > निर्माण > >>>> > 3.गोबरगणेश का चिंतन अर्थात > >>>> > गोबरवाद > >>>> > 4.पाखाना लगना, लैट्रिन आना, बाथरूम > >>>> > करना… > > >>>> > 2010/9/8 Pritish Barahath > > >>>> >> यह कर्म प्रधान होने का ही उदाहण है > >>>> >> शब्द से कर्म प्रभावित नहीं हुआ है जबकि कर्म शब्द को गरिमा या निन्दा > >>>> प्रदान > >>>> >> करता है। वैसे उपरोक्त कर्म निन्दनीय तो नहीं हैं लेकिन कर्ता की > >>>> निकृष्टता > >>>> >> का > >>>> >> आरोप उन कर्मों पर हुआ है। इसलिये क्या यह कहा जा सकता है कि कर्म > >>>> प्रधान है > >>>> >> पर > >>>> >> कर्ता उससे भी प्रधान है ? > > >>>> >> 2010/9/8 Rangnath Singh > > >>>> >> एक ताजा उदाहरण बाथरूम का भी लिया जा सकता है। जिसका अर्थ आज उत्तर भारत > >>>> >>> में पेशाब करना हो चुका है। > - show quoted text - > >>>> >>> > From: "Satya Prakash" > >>>> >>> > To: "शब्द चर्चा" > >>>> >>> > Sent: Wednesday, September 08, 2010 8:19 AM > >>>> >>> > Subject: [शब्द चर्चा] कर्मचोदना > > >>>> >>> >> श्रीमद भगवदगीता के १८ वाँ अध्याय के एक श्लोक से लिए एक शब्द पर > >>>> >>> >> चर्चा > > >>>> >>> >> ज्ञानं ज्ञेयं परिज्ञाता त्रिविधा कर्मचोदना | करणं कर्म कर्तेति > >>>> >>> >> त्रिविध :कर्मसंग्रह:||१८ || > > >>>> >>> >> अर्थ - कार्य का ज्ञान ,ज्ञान का विषय (ज्ञेय) और ज्ञाता --- ये > >>>> तीन > >>>> >>> >> कर्म की प्रेरणा हैं तथा करण अथार्त इन्द्रियाँ ,क्रिया और कर्ता > >>>> अथार्त > >>>> >>> >> प्रक्रति के तीनो गुण ---ये तीन कर्म के अंग हैं . > > >>>> >>> >> श्रीमद भगवद्गीता के १८ वें अध्याय के इस श्लोक में जो शब्द > >>>> कर्मचोदना > >>>> >>> >> आया है वो कर्म और चोदना से मिलकर बना है .चोदना शब्द संस्कृत के > >>>> शब्कोष > >>>> >>> >> में देखा तो पता चला की 'चुद' इसका मूल धातु है . इस शब्द का सही > >>>> अर्थ है > >>>> >>> >> अभिप्रेरणा .मेरे मन में एक जिज्ञासा आई कि आज के > > ... > > और पढ़ें »- उद्धृत पाठ छिपाएँ - > > उद्धृत पाठ दिखाए 12/8/11अजित वडनेरकर सत्यजी यह जो "ना" है, यह इसे क्रिया बना रहा है। "चोद" के साथ "ना" लगने से क्रिया बनती है। जिस तरह से संस्कृत में चुद् धातु है, उसी तरह से हिन्दी की धातु "चोद्" हुई। इसमें "ना" प्रत्यय लगने सो "चोदना' क्रिया बनती है। संस्कृत का संज्ञा रूप "चोदना", हिन्दी में भी तत्सम रूप में सीधे सीधे गीता वाले अर्थ में ही है। 2011/12/7 Satya Mishra - show quoted text - - show quoted text - shuklavedant1998@gmail.com - Switch accounts - Desktop 

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