Tuesday, 5 September 2017
सर्वोच्च स्थान को ‘व्यासपीठ’
☰


HOME
PUNJAB ELECTION 2017
UP ELECTION 2017
DELHI
PUNJAB
HARYANA
HIMACHAL PRADESH
CHANDIGARH

सर्वोच्च स्थान को ‘व्यासपीठ’ की संज्ञा दी जाती है, कौन थे वेद व्यास जी
Thursday, July 30, 2015


वेदों का विभाग करने के कारण ये वेदव्यास कहलाए। ये ज्ञान के असीम सागर, भक्ति के परमाचार्य, विद्वता की पराकाष्ठा और कवित्व शक्ति की सीमा है। सभी नौ प्रकार की भक्ति के ये एकमात्र प्रतीक हैं। इनका नाम आते ही एक अत्यंत गरिमामय पुरुष की अद्भुत वंदनीय मूर्त उभरती है, जिसका सम्पूर्ण व्यक्तित्व रूपांतरित होकर ज्ञान का महासागर बन गया है। उन्होंने सर्वप्रथम वेदों का निर्माण कर उन्हें चार वेदों में विभक्त किया। उन्होंने ‘ब्रह्मसूत्र की रचना कर आत्मतत्व और उपनिषदों के गूढ़ अर्थ की विशद व्याख्या की। संसार भर में ‘ब्रह्मसूत्र’ के बराबर किसी भी ग्रंथ की टीकाएं नहीं हुईं।
वेद व्यास जी ने अट्ठारह पुराणों (अष्टादश पुराणना वक्ता सत्यवती सुत:) श्रीमद् भागवत और पांचवें वेद महाभारत की रचना की जिसके लेखन के लिए गणेश जी से प्रार्थना की गई। इनके सभी पुराणों में कथा आख्यान सहित अगणित धर्मोपदेश दिए गए हैं।
उन्होंने अनेक धर्मपुराणों की रचना की। सबसे बड़े ‘स्कंदपुराण’ के प्रथम 3 खंडों में मास-महात्मयों के साथ तीर्थ-व्रत, पीपल, तुलसी, गौ आदि तथा पद्मपुराण में ब्राह्मण-महिमा, गायत्री महिमा, मातृ-पितृ महिमा, सती महात्म्य, श्रद्धाविधि, दान महिमा का वर्णन है।
उनके धर्मशास्त्र धर्म के अद्भुत विश्वकोष हैं। उन्होंने तीन स्मृतियां भी लिखीं। अकेले विष्णु धर्मपुराण में 807 अध्यायों की रचना भगवान वेद व्यास की धर्मप्रियता का परिचायक है। आज भी धार्मिक अनुष्ठानों, ज्ञानयज्ञों में सर्वोच्च स्थान को ‘व्यासपीठ’ की संज्ञा दी जाती है।
—सलय श्रीवास्तव/ रमेश दीक्षित

FOR ANY QUERY
support@punjabkesari.in
FOR ADVERTISEMENT QUERY
advt@punjabkesari.in
TOLL FREE : 1800 137 6200
Home|Privacy Policy|Live Help
© 2016 Punjab Kesari, All Rights Reserved
Subscribe to:
Post Comments (Atom)
No comments:
Post a Comment