Monday, 4 September 2017

अग्नेर्वा ऋग्वेदो जायते वायोर्यजुर्वेदः सूर्यात्सामवेदः।।शत.।।

अपना ब्लॉग Log In Search for:  अपना ब्लॉग रजिस्टर करें  मौजूदा ब्लॉगर्स लॉग-इन करें क्या वेद 1 अरब 96 करोड़ 8 लाख 53 हज़ार साल से ज़्यादा पुराने हैं? October 3, 2013, 1:24 PM IST डा. अनवर जमाल ख़ान in बुनियाद | साइंस-टेक्नॉलजी धरती पर मानव का आगमन कब हुआ? स्वामी दयानंद जी ने सृष्टि का आदि 1 अरब 96 करोड़ 8 लाख 52 हज़ार 9 सौ 76 वर्ष पुराना बताया है और मनुस्मृति को सृष्टि के आदि में होना माना है। ये दोनों ही बातें ग़लत हैं। हमारी आकाशगंगा की आयु वैज्ञानिकों के अनुसार 13.2 अरब वर्ष से ज़्यादा है और इससे भी ज़्यादा आयु वाली आकाशगंगाएं सृष्टि में मौजूद हैं। धरती की उम्र भी लगभग 4.54 अरब वर्ष है। वैज्ञानिकों धरती पर 1 अरब वर्ष पहले तक भी किसी मानव सभ्यता का चिन्ह नहीं मिला। देखिए वैज्ञानिक तथ्यों को प्रदर्षित करता एक चित्र, जिसमें वैज्ञानिकों ने दर्शाया गया है कि एक अरब छियानवे करोड़ वर्ष पहले धरती पर मनुष्य नहीं पाया जाता था।  स्वामी जी सृष्टि की उत्पत्ति का काल जानने में भी असफल रहे ‘चारों वेद सृष्टि के आदि में मिले।’ स्वामी जी ने बिना किसी प्रमाण के केवल यह कल्पना ही नहीं की बल्कि उन्होंने ़ऋग्वेदादिभाष्यभूमिका, अथ वेदोत्पत्तिविषयः, पृष्ठ 16 पर यह भी निश्चित कर दिया कि वेदों और जगत की उत्पत्ति को एक अरब छियानवे करोड़ आठ लाख बावन हज़ार नौ सौ छहत्तर वर्ष हो चुके हैं। स्वामी जी इस काल गणना को बिल्कुल ठीक बताते हुए कहते हैं- ‘…आर्यों ने एक क्षण और निमेष से लेके एक वर्ष पर्यन्त भी काल की सूक्ष्म और स्थूल संज्ञा बांधी है।’ (ऋग्वेदादिभाष्य., पृष्ठ 17) ‘जो वार्षिक पंचांग बनते जाते हैं इनमें भी मिती से मिती बराबर लिखी चली आती है, इसको अन्यथा कोई नहीं कर सकता।’ (ऋग्वेदादिभाष्य., पृष्ठ 19) यह बात सृष्टि विज्ञान के बिल्कुल विरूद्ध है।  आर्य ज्योतिषियों का फलित भी ग़लत और गणित भी ग़लत स्वामी जी ज्योतिष के फलित को ग़लत और उसके गणित को सही माना है। वह ज्योतिष की काल गणना पर विश्वास करके धोखा गए। बाद के वैज्ञानिक अनुसंधानों से पता चला कि जगत और मनुष्य की उत्पत्ति के विषय में आर्य ज्योतिषियों की काल गणना बिल्कुल ग़लत है। स्वामी जी कह रहे हैं कि आर्यों ने एक एक क्षण का हिसाब ठीक से सुरक्षित रखा है लेकिन हक़ीक़त यह है कि आर्यों ने सृष्टि की जो काल गणना की है, उसमें 11 अरब वर्ष से ज़्यादा की गड़बड़ है। वेदों का काल जानने में भी असफल रहे स्वामी जी सही जानकारी के अभाव में उन्होंने यह कल्पना कर ली कि चारों वेद परमेश्वर की वाणी हैं। परमेश्वर ने सृष्टि के आरंभ में एक एक ऋषि के अंतःकरण में एक एक वेद का प्रकाश किया। अपनी इस कल्पना की पुष्टि में उन्हें कोई प्रमाण न मिला। तब उन्होंने शतपथ ब्राह्मण से एक उद्धरण दिया और उसका अर्थ अपनी कल्पना से यह बनाया- ‘अग्नेर्वा ऋग्वेदो जायते वायोर्यजुर्वेदः सूर्यात्सामवेदः।।शत.।। प्रथम सृष्टि की आदि में परमात्मा ने अग्नि, वायु, आदित्य तथा अंगिरा इन ऋषियों के आत्मा में एक एक वेद का प्रकाश किया।’ (सत्यार्थप्रकाश, सप्तमसमुल्लास, पृष्ठ 135) इस श्लोक में ‘प्रथम सृष्टि के आदि में परमात्मा द्वारा’ वेद देने की बात नहीं आई है। स्वामी जी ने अपनी कल्पना को इस श्लोक में आरोपित करके यह अर्थ निकाला है। इस श्लोक में चौथे ऋषि अंगिरा को एक वेद मिलने की बात नहीं आई है। यह भी स्वामी जी की कल्पना है। जो बात इस श्लोक में कही गई है। वह स्वामी जी ने बताई नहीं। इस श्लोक में अग्नि का संबंध ऋग्वेद से, यजुर्वेद का संबंध वायु से और सामवेद का संबंध सूर्य से दर्शाया गया है। यह संबंध स्वामी जी ने अपने अनुवाद या भावार्थ में दर्शाया ही नहीं। वेदों का सही अर्थ न जानने के कारण स्वामी दयानंद जी यह भी नहीं जान पाए कि वेदों की रचना कब और कैसे हुई ? हमारा मक़सद स्वामी जी के कामों में कमियां निकालना नहीं है लेकिन हमें वास्तव में पता होना चाहिए कि वेदों की रचना किसने की, कब की और उनकी रचना करने वाले ऋषियों का इतिहास क्या था? हमारी कोशिश का मक़सद वेद किसी की बपौती नहीं हैं। वेद सबके हैं। हम वेदों का आदर करते हैं। हम महान सत्कर्मी ऋषियों का भी आदर करते हैं। हम स्वामी दयानन्द जी का भी अनादर नहीं करते। उनके प्रयास से वेद भारत में सबको सुलभ हुए। उनके इस काम की तारीफ़ होनी चाहिए लेकिन उन्होंने वेदों के बारे में जो कुछ समझ लिया है। वह सब सही नहीं है। उन्हें वेदों के बारे में शोध करने का बहुत ज़्यादा समय भी नहीं मिल पाया। जो जानकारियां आज हमें उपलब्ध हैं। वह उन्हें अपने ज़माने में सुलभ नहीं थीं। उनकी मेहनत को सामने रखते हुए हमें भी अपने हिस्से की कोशिश ज़रूर करनी चाहिए। हमारी कोशिश का मक़सद यही है। डिसक्लेमर : ऊपर व्यक्त विचार लेखक के अपने हैं लेखक डा. अनवर जमाल ख़ान मैं एक इंसान हूं और निवास भारत में है। लोगों को बेवजह नफ़रत करते. . . और FROM WEB This Rare Beans Helps To Burn 30 Kg Of Fat Manorama's Blog. 70% बचाएँ कार बीमा renewal करने पर ET INSURE Get ready to #LePanga with Vivo ProKabaddi Vivo ProKabaddi FROM NAVBHARAT TIMES शो बंद होने पर पहली बार बोले कपिल शर्मा NAVBHARATTIMES जेल में राम रहीम को हनीप्रीत से चाहिए मसाज! 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NAVBHARATTIMES  तमिलनाडु मामले में राष्ट्रपति से मिलेगा विपक्ष NAVBHARATTIMES 20 COMMENTS इस पोस्ट पर कॉमेंट बंद कर दिये गये है  Hisham khan•3 years ago आपका लेख अच्छा लगा. 0 0 •जवाब दें•शिकायत करें  Akash Tiwari• •Ahmedabad•3 years ago धर्म मिन्स क्या क्या है कुछ नही और कुरान और गीता मे क्या लिखा है जो प्रक्रति हमे जन्म से ही नही देती , साहब मनुष्या के प्रक्रति मे दया भाव , छमा , क्रोध ,ईर्ष्या ए सब चीजे जन्मजात रहती है अब तय हमे करना की इसमे किसको हम अपने जीवन मे उतारते है , दूसरो पर दया करना , किसी की सहायता करना या सब के साथ मिलकर रहना ए हमे कुरान और गीता से सीखने की जरूरत नही . वैसे भी बेद मे धर्म के बारे मे नही लिखा और गीता हमारे जीवन के लिये नही है वो यौगिओ के लिये ऐ , कई लोग बोलते है की गीता मे कर्म करने के लिये बताया गया है और कर्म कौन सा , नौकरी करना, अपना पेट पालने के लिये मेहनत करना , रुपया कामना , जी नही गीता (कर्म का सिंधांत )इस कर्म के बारे मे नही दूसरे कर्म के बारे मे कहती है जिसका इस संसार से कोई मतलब नही हम जो कर्म करते है वो जीवन यापन का जरिया जो एक जानवर भी करता है जो गीता और बेद को पाने जगह रहने दीजिये और जो आप लोग कर रहे है उसको करिये क्यू इन किताबो के चक्कर मे पड़ते है ए सब आप लोंगो के लिये नही है . अनवर जमाल और पण्डित जोशी के लिये बेद और गीता नही है ए सिर्फ योगिओ के लिए है ऐसा योगेश्वर श्री कृष्णा कहते है 0 0 •जवाब दें•शिकायत करें  R Gautm•gurgaon•3 years ago यह इस देश का आज़ादी से दुर्भग्य रहा है की हर सनातन खोज को भुला दिया जाये...सौर मंडल की गड़ना पुराने लोगो ने आज के लोगो के प्रयोगो से उन्नत तरीको से की होगी... शोध उस समय भी था आज भी है.. पर आज तो..एक कहता है यह सेहत के लिये ठीक है..दूसरा कहता है नही...तभी तो इतनी तररकी होने के बाद भी इंसान नामालूम बीमारिया झेल रहा है... 0 0 •जवाब दें•शिकायत करें  जय प्रकाश•-306• •Bhopal•3 years ago जमाल साहब! यह बात उतनी ही मूर्खतापूर्ण है, जितनी कि किसी किताब को आसमानी या ईश्वर रचित कह देना। वर्तमान में धर्म स्वयं की मूर्खता प्रामाणित करने का बेहतरीन साधन है, मजे की बात तो यह है कि सारे मूर्ख स्वयं की बात सिद्ध करने हेतु विज्ञान का ही सहारा लेते हैं, भले ही सच्चा हो या झूठा, तर्कसंगत हो कुतर्कपूर्ण। 0 0 •जवाब दें•शिकायत करें  Kumar Topic•3380• •Unknown•3 years ago दयानंद जी अग्यानी ,विवेकानंद जी मूर्ख थे एकमात्रा ग्यानी जो दुनिया को ग्यान बाँटने का अधिकार रखता है वो है अनवर जमाल 0 0 •जवाब दें•शिकायत करें  Arunesh Dixit•93• •Pune•3 years ago जमाल भई, आपके दोहरे रवैये का पता चल गया| आप भी परिपाटी अनुसार अपने मन के ही उत्तर चाहते हैं| कोई बात नही, अगर हो सके तो मेरे पिछ्ले विचारों को प्रकाशित करें| अन्यथा कोई बात नही, बस मेरी अनुपस्थित आपके ब्लॉग्स से| 0 0 •जवाब दें•शिकायत करें  Raj Ranna• •Delhi•3 years ago बाकी, ना तो वेद मे लिखी गई कोई भी बात गलत है ना ही क़ुरान या तोराह मे. बस गलत अगर है तो व हमारी अपनी सोचने-समझने के फेर मे है. ******** वेदों का ज्ञान उस चित्र पहेली की तरह है जहां तक पहुंचने के लिये तो कई सारे रास्ते दिखाये जाते है हमे दिग्भ्रमित करने के लिये लेकिन, जाता सिर्फ एक ही रास्ता है. ********* ठीक उसी तरह वेद की बातें भी सारी सही है लेकिन, उसके द्वारा बताई गई बाते तक पहुचने के लिये हमलोगों ने खुद ही इतने सारे दिग्भ्रमित करने वाले रास्ते बना डाले है अपनी अज्ञानतावश की चाह कर भी वहा तक नही पहुच सकते है. ********* 0 0 •जवाब दें•शिकायत करें  Raj Ranna• •Delhi•3 years ago आपके इस लेख जो की सही मायने मे उन हिन्दुओं के लिये आइना है जो की वेद का भोपू तो बजाते हैं लेकिन, इसका क ख ग तक की जानकारी नही है..अतः, इस बात के लिये आपको बहुत बहुत धन्यवाद देता हु. 0 0 •जवाब दें•शिकायत करें  Raj Ranna• •Delhi•3 years ago जमाल साहब, 1.''वेद'' का अर्थ हैं ''विद्या'' यानि, ''ज्ञान'' जो की अपने-आप मे कई सारे ''ज्ञान'' विज्ञान की बातों व रहस्याओं को मे समेट रखा है ****************. आपने सही कहा की ''वेद'' किसी की भी बपौती नही है क्योंकि वेद तो अगर सिर्फ ''अंग्रेज़ों की भाषा'' मे लोग समझना चाहते हैं तो यह एक ''साइन्स'' है कोई ''धर्म'' नही. ************** ओर, ''साइन्स'' किसी की भी बपौती नही हो सकती. ओर, जितना यह वेदों का भोपू बजाने वाले उन हिन्दुओं का भी है जो यहाँ आपके इस लेख मे आकर इसका एक पट्टा भी इसका नही खडका सके उतना ही मुसलमानो का भी जो हिन्दुओं से कही ज्यादा कुरआन के जरिये इसके करीब हैं. ********** 0 0 •जवाब दें•शिकायत करें  dubey•3 years ago ब्लॉग पर लोग एक दूसरे की टांग खीचकर ,आनन्द ले रहे हैं ,मगर एक चीज जो बहुत अच्छी हो रही की,लोग वेद ,क़ुरान का अद्ध्ययन बड़ी गहराई से ,कर रहे हैं ,और उसके पीछे मकसद वही है ,और जोर से टांग कैसे खीची जाय...............लगे रहो मुन्ना भाईयो..............||| 0 0 •जवाब दें•शिकायत करें  Syed m Masoom•12• •india•3 years ago अनवर भाई आज कहाँ किसी को वेद ,कुरान और मनुस्मृति के सही इतिहास की जानकारी है |लोग तो बिना धार्मिक किताबों की जानकारी के ही अपनी किताब को सही और दूसरों की किताब को गलत कह देते हैं |जो धर्म के नाम पे नफरत फैलाते है उनको ना अपने धर्म की किताब का ज्ञान है और ना दूसरों के धर्म की किताब का | यहाँ तो बस मेरा सब चकाचक और तेरा सब काला वाला हिसाब है | मेरा सब चकाचक तो ठीक है लेकिन तेरा काला वाला हिसाब मेरी नज़र में ठीक नहीं | लेख आपका ज्ञानवर्धक है लेकिन इस विषय पे बात सही तथ्यों के साथ करने वालों की कमी है | 0 0 •जवाब दें•शिकायत करें  Ved.Vashishth•388• •noida•3 years ago वैसे हिन्दू धर्म से सम्बंधित मुख्य जानकारियाँ और मुख्य आर्य राजाओं की वंशावली तिरुपति बालाजी और काशी के मंदिरों में सुरक्षित रखी है जिन्हे सोमनाथ के मंदिर पर हुए हमलों के बाद कुछ पंडे अपनी जान पर खेलकर सुरक्षित निकाल लाये थे|इसलिये तिरुपति बालाजी के मंदिर में आज भी हिन्दुओं के अलावा अन्य किसी धर्म का नागरिक प्रवेश नही कर सकता| यही एकमात्र देश का ऐसा मंदिर है जहाँ पर प्रवेश करने से पहले व्यक्ति का हिन्दू होना सुनिश्चित किया जाता है| 0 0 •जवाब दें•शिकायत करें  manoj pal•205• •3 years ago जरा हिन्दुस्तान मे मुसलमानो की पैदाइश भी फरमाइये, कब आये और जो हैं वो कौन है, उम्मीद करतेहैं की फटेगी नही. 0 0 •जवाब दें•शिकायत करें  Onkar Singh Gautam•3 years ago लेखक जी, कुछ आसमानी किताबो पर भी झिरहा करो, आप का अति आभार होगा, 0 0 •जवाब दें•शिकायत करें  Narendra Rawat•784• •New Delhi, India•3 years ago बेमतलब का लेख है. सबसे पहले लेखक महोदय को यह थोड़ा सोचना चाहिये कि इंसानों की उत्पत्ती कैसे हुई अतः प्रकृति के रहस्यों को जानने के लिये इंसानो का ज्ञान अभी बहुत ही अल्प है और इस बारे में बात ना ही की जाय तो अच्छा है. 0 0 •जवाब दें•शिकायत करें  सबसे चर्चित पोस्ट सुपरहिट पोस्ट 1. अनोखे संसार की अनोखी सैर -24 2. जब पैरों तले जमीन खिसक गई 3. सोशल मीडिया की सोशलता 4. नमो का सफाई अभियान चालू आहे 5. धोनी की 'ट्रिपल सेंचुरी' टॉपिक से खोजें सुधार -अधिकार दुरूपयोग नेता सुरक्षा सरकार अधिकार कार्टून अराजकता भारत इस्लाम व्यंग्य कर्तव्य देश समाज ब्लाग नियम मोनिका-गुप्ता हरियाणा कांग्रेस सिरसा मोदी उपयोग कविता चुनाव नए लेखक और »  FROM WEB  Men, You Don't Need The Blue Pill If You Do This Daily TestoUltra  This 13-year-old is fighting Cancer Alone! 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