विकि लव्ज़ मॉन्युमॅण्ट्स: किसी स्मारक की तस्वीर खींचिए, विकीपीडिया की सहायता कीजिए और जीति मुख्य मेनू खोलें खोजें संपादित करेंइस पृष्ठ का ध्यान रखें गंधर्वराज पुष्पदंत गंधर्वराज पुष्पदंत तथा पुष्पदन्त जैन धर्म का 9वाँ तीर्थंकर के बीच भ्रमित न होवें। गंधर्वराज पुष्पदंत अथवा पुष्पदन्त बहुत ही बड़े शिवभक्त थे। शिव की भक्ति उनके मन में भरी थी। पुष्पदंत देवराज इंद्र के दरबार के महत्वपूर्ण गायक थे, उनके गीत पूरे स्वर्ग में प्रचलित थी, भूलोक भी अछूता न था। जिस प्रकार राजा इंद्र के दिन अप्सराओं के बिना नहीं कटती उसी प्रकार उन्हें पुष्पदंत के शिवमय गीत परमानंद प्रदान करते थे।[1] इस संदूक को: देखें • संवाद • संपादन हिन्दू धर्म पर एक श्रेणी का भाग  इतिहास · देवता सम्प्रदाय · आगम विश्वास और दर्शनशास्त्र पुनर्जन्म · मोक्ष कर्म · पूजा · माया दर्शन · धर्म वेदान्त ·योग शाकाहार · आयुर्वेद युग · संस्कार भक्ति {{हिन्दू दर्शन}} ग्रन्थ वेदसंहिता · वेदांग ब्राह्मणग्रन्थ · आरण्यक उपनिषद् · श्रीमद्भगवद्गीता रामायण · महाभारत सूत्र · पुराण शिक्षापत्री · वचनामृत सम्बन्धित विषय दैवी धर्म · विश्व में हिन्दू धर्म गुरु · मन्दिर देवस्थान यज्ञ · मन्त्र शब्दकोष · हिन्दू पर्व विग्रह प्रवेशद्वार: हिन्दू धर्म  हिन्दू मापन प्रणाली  Mukaba द्वारा पुष्पदंत से संबंधित चित्र (संवत् 1912/AD 1855, लाहौर) इन्होंने ही प्रभासक्षेत्र में पुष्पदंतेश्वर महादेव की स्थापना की थी। तथा शिवमहिम्न स्तोत्र की रचना की थी। इन्होंने जो साहित्यदान किया इसी कारण इनका नाम सनातन धर्म के इतिहास में अमिट तथा श्वर्णिम अक्षरों में लिखा गया। प्रचलित कथासंपादित करें भगवान शिव के परम भक्त पुष्पदंत प्रतिदिन विधिपूर्वक शिव पूजा करते थे अत: उन्हें नानाप्रकार के पुष्प तथा बिल्वपत्र की आवश्यकता होती थी। उस समय चित्ररथ नामक प्रतापी राजा हुए यह भी भगवान शिव के भक्त थे, पूजन में इन्हें भी पुष्प तथा अन्य वस्तुओं की प्रतिदिन आवश्यकता होती थी। सुविधानुसार इन्होंने अपने राज्य में एक उद्यान का निर्माण कराया। वहाँ मोंगरा, सेवंतिका, कमल, कृष्णकमल, गैंदा, चम्पा, चमेली इत्यादि कई प्रकार के पुष्प थे जिन्हें देश विदेश से लाया गया था, कई हजार बिल्व के वृक्ष थे राजा प्रतिदिन यहाँ से पुष्प लेजाकर शिवपूजन करते थे। एक दिन श्री पुष्पदंत प्रभु के लिये पुष्प लेकर जा रहे थे तभी उनके नेत्र इस सुन्दर उद्यान के पुष्पों पर पड़े उन्होंने सोचा कि इतने सुंदर पुष्प व्यर्थ ही देखने के लिये रखे गए हैं, इनका उपयोग तो शिवपूजन में होना चाहिये। दूसरे दिन पुर्वान्ह में वे इसी उद्यान में आए और पुष्प तोड़ने लगे, सारे माली शयन कर रहे थे अत: किसी ने पुष्पदंत को नही देखा, उन्होंने शिव पूजा की। सुबह राजा चित्ररथ को मालियों ने बताया कि कोई पुष्प की चोरी कर रहा है। राजा ने कई यत्न किया परंतु वह पुष्पदंत को पकड़ नहीं सका, उसने सोंचा कि जरूर यह कोई मायावी पुरुष है। रात्रि में राजा नें उद्यान के मुख्य द्वार पर शिव निर्माल्य[2] रखवा दिया तथा ऊपर से कपड़ा डाल दिया, प्रात: जब पुष्पदंत उद्यान में प्रवेश कर रहा था तब उनके पैर शिवनिर्माल्य वस्तुओं पर पड़ी जिससे पुष्पदंत की सभी दैवीय शक्तियाँ नष्ट हो गईं। पुष्पदंत अत्यंत दुखी हुए तथा उन्होने वहीं एक शिवलिंग का निर्माण किया और विधिपूर्वक पूजा की तथा शिव को प्रसन्न करने हेतु उन्होनें एक स्तोत्र का पाठ किया। शिवशंकर के पास सबके लिये दया है, दया का भंडार है तभी उनका भोले भंडारी भी नाम है। प्रभु ने पुष्पदंत को क्षमादान दिया। भगवान बोले कि तुमने जिस श्लोकसंग्रह से मेरी प्रार्थना की मुझे सर्वदा प्रिय रहेगा तथा आगे जाकर श्री शिवमहिम्न स्तोत्र के नाम से प्रचलित होगा। तुम्हारे द्वारा निर्मित यह शिवलिंग पुष्पदंतेश्वर शिवलिंग के नाम से जाना जाएगा, जो भी इसका दर्शनमात्र करेगा उसके सारे दुख दूर होंगे तथा स्तोत्रपाठ से वह पुण्य का भागी होगा। शिवमहिम्न स्तोत्र के अंतिम श्लोक में लिखा है:-- श्री पुष्पदन्त-मुख-पङ्कज-निर्गतेन। स्तोत्रेण किल्बिष-हरेण हर-प्रियेण।। कण्ठस्थितेन पठितेन समाहितेन। सुप्रीणितो भवति भूतपतिर्महेशः।।।।[3] अर्थात्, श्री पुष्पदंत के कमल के समान मुख से निकला यह स्तोत्र सारे दुखों को दूर करने वाला है तथा शिव का प्रिय है। जो भी जन इसे सुनेंगे, पढ़ेंगे और धारण करेंगे, भगवान शिव उन्हें जन्म जन्मांतर के पापों से मुक्त कर देंगे। प्रभासक्षेत्र के पुष्पदंतेश्वर के दर्शन से सारे कष्ट जाते हैं तथा शिवमहिम्नस्तोत्र केवल एक स्थान पर नहीं अपितु पूरे भारतवर्ष में प्रचलित है।[4] अवश्य देखेंसंपादित करें शिवमहिम्न स्तोत्र शिव गणेश पार्वती कार्तिकेय अशोक सुंदरी श्री शिव पंचाक्षर स्तोत्र तांडव स्तोत्र सन्दर्भसंपादित करें ↑ http://www.riiti.com/4008/pushpadant_shiva_mahimna_stotram ↑ शिवनिर्माल्य = शिव पर अर्पित पुष्प, बिल्वपत्र, चरणामृत आदि ↑ महिम्नस्तोत्र का आखरी श्लोक देखें। ↑ गंधर्वराज पुष्पदंत की कथा संक्षिप्त में। बाहरी कड़ियाँसंपादित करें शिवमहिम्न स्तोत्र, संपूर्ण स्तोत्र के लिये क्लिक करें। RELATED PAGES शिवमहिम्न स्तोत्र रुद्राष्टाध्यायी नाग स्तोत्र Last edited 4 months ago by Dharmadhyaksha  सामग्री CC BY-SA 3.0 के अधीन है जब तक अलग से उल्लेख ना किया गया हो। गोपनीयताडेस्कटॉप
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