Friday, 1 September 2017

यहाँ 'चोदना' शब्द का अर्थ है-विध

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यहाँ आलोच्य श्लोक का अनुसारण कर रहे हैं,- देह आदि के अतिरिक्त केवल आत्मज्ञान ही ज्ञान नहीं है, बल्कि उसी प्रकार आत्मतत्त्व भी ज्ञेय है अर्थात् आत्मतत्तवको भी जानना चाहिए। जिन्होंने ऐसे ज्ञान का आश्रय किया हे, वे ही ज्ञानी हैं, किन्तु इन तीनों में भी कर्म-समबन्ध वर्तमान है, यह जानना भी संन्यासियों का कर्त्तव्य है इसीलिए ‘ज्ञानम्’ इत्यादि कह रहे हैं। यहाँ ‘चोदना’ शब्द का अर्थ है-विध। भट्ट कहते हैं कि चोदना, उपदेश और विधि- ये सब एकार्थवाचक हैं। अपने श्लोक के आधे अंशकी व्याख्या स्वयं कर रहे हैं- ‘करणं’ इत्यादि। जिसके द्वारा जाना जाय, वही ज्ञान है-इस व्युत्पत्ति के अनुसार ज्ञान करण कारक है, ‘ज्ञेय’ अर्थात् जीवात्मतत्तव ही कर्म कारक है। जो इसे जानने वाला है, वही परिज्ञाता है अर्थाता वही ज्ञाता हैं करण, कर्म तथा कर्त्ता- ये तीन कारक हैं अर्थात् ‘कर्मसंग्रह’ हैं। ‘कर्मसंग्रहः’ -[6]निष्काम कर्म द्वारा ही संग्रहीत होने के कारण। यह ‘कर्मचोदना’ पदकी व्याख्या है। ‘ज्ञानत्व’, ‘ज्ञेयत्च’ और ‘ज्ञातत्त्व’- ये तीनों निष्काम-कर्मानुष्ठान मूलक हैं।।18।।  टीका-टिप्पणी और संदर्भ ↑ 11/111/32 ↑ 6/3 ↑ गीता 3/17 ↑ 10/33/39 ↑ 2/8/5 ↑ कर्मणा-संग्रह संबंधित लेख श्रीमद्भगवद्गीता -विश्वनाथ चक्रवर्त्ती अध्याय नाम पृष्ठ संख्या पहला सैन्यदर्शन 1 दूसरा सांख्यायोग 28 तीसरा कर्मयोग 89 चौथा ज्ञानयोग 123 पाँचवाँ कर्मसंन्यासयोग 159 छठा ध्यानयोग 159 सातवाँ विज्ञानयोग 207 आठवाँ तारकब्रह्मयोग 236 नवाँ राजगुह्मयोग 254 दसवाँ विभूतियोग 303 ग्यारहवाँ विश्वरूपदर्शनयोग 332 बारहवाँ भक्तियोग 368 तेरहवाँ प्रकृति-पुरूष-विभागयोग 397 चौदहवाँ गुणत्रयविभागयोग 429 पन्द्रहवाँ पुरूषोत्तमयोग 453 सोलहवाँ दैवासुरसम्पदयोग 453 सत्रहवाँ श्रद्धात्रयविभागयोग 485 अठारहवाँ मोक्षयोग 501 वर्णमाला क्रमानुसार लेख खोज अ आ इ ई उ ऊ ए ऐ ओ औ अं क ख ग घ ङ च छ ज झ ञ ट ठ ड ढ ण त थ द ध न प फ ब भ म य र ल व श ष स ह क्ष त्र ज्ञ ऋ ॠ ऑ श्र अः श्रेणियाँ: श्रीमद्भगवद्गीता -विश्वनाथ चक्रवर्त्तीगीतासंस्कृत साहित्य गीता गीता (मूल) गीता -श्रील् प्रभुपाद गीता -तिलक गीता -राधाकृष्णन गीता -अरविन्द गीता -विनोबा गीता -गांधी गीता -जयदयाल गीता -रामसुखदास भक्त चैतन्य महाप्रभु वल्लभाचार्य निम्बार्काचार्य श्रील् प्रभुपाद नरसी मेहता रूप गोस्वामी सनातन गोस्वामी कृष्णदास कविराज भक्तिकाल के कवि साहित्य संस्कृत साहित्य हिन्दी साहित्य (गद्य) हिन्दी साहित्य (पद्य) संगीत/कला वीडियो ऑडियो चित्रकला गायन नृत्य कृष्णलीला रासलीला तीर्थ/यात्रा ब्रज ब्रज के वन द्वारका चौरासी कोस की यात्रा © 2017 सर्वाधिकार सुरक्षित कृष्णकोश मुखपृष्ठ हाल में हुए बदलाव लॉग इनसंपर्क करें

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